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Navratri 2024: 3000 साल पुराना है कालका जी का यह अनोखा मंदिर, नवरात्रि में 150 किलो फूलों से सजाया जाता है दरबार

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दिल्ली: नवरात्रि का समय है और चारों ओर जय माता दी के जयकारे गूंज रहे हैं. लोग अपने परिवार के साथ माता के मंदिरों की ओर जा रहे हैं. आज हम आपको दिल्ली के प्राचीन मंदिरों में से एक, कालका जी मंदिर के बारे में जानकारी देंगे. माना जाता है कि माता कालका का यह मंदिर लगभग 3000 साल पुराना है. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में कुछ खास बातें…

कालका जी मंदिर दिल्ली में स्थित है. यह ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक प्राचीन है. यह मंदिर देवी काली को समर्पित है. नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है. कालका जी मंदिर की स्थापना का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा माना जाता है. जब पांडवों ने इस मंदिर में देवी की आराधना की थी.

18वीं शताब्दी का है यह मंदिर
इसका मुख्य इतिहास मुगल और ब्रिटिश काल से भी जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि 18वीं शताब्दी में इस मंदिर को एक पुनर्निर्माण के दौरान नया रूप दिया गया था. इस मंदिर की वास्तुकला साधारण है, लेकिन इसके धार्मिक महत्व के कारण यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. विशेष रूप से चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान मंदिर के आसपास की पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी काली ने यहां एक राक्षस का वध किया था और तब से यह स्थान देवी के रूप में पूजनीय है.

जानें कब हुआ था मंदिर का निर्माण
कालका जी मंदिर प्राचीन सिद्धपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहीं आद्यशक्ति मां भगवती महाकाली के रूप में प्रकट हुई थीं और असुरों का संहार किया था. वर्तमान मंदिर की स्थापना बाबा बालकनाथ ने की थी. माना जाता है कि इस मंदिर के पुराने हिस्से का निर्माण मराठों ने 1764 में कराया और बाद में 1816 में अकबर द्वितीय ने इसका पुनर्निर्माण करवाया.

150 किलो फूलों से सजाई जाती है मंदिर
मां के शृंगार को दिन में दो बार बदला जाता है. सुबह के समय मां को 16 शृंगार के साथ फूल और वस्त्र पहनाए जाते हैं, जबकि शाम को आभूषण और वस्त्र बदल दिए जाते हैं. मां की पोशाक के अलावा जूलरी का भी विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान मंदिर को रोजाना 150 किलो फूलों से सजाया जाता है, जिसमें कई विदेशी फूल भी शामिल होते हैं. इन फूलों को मंदिर की सजावट के बाद अगले दिन श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ बांटा जाता है.

जानेंमंदिर खुलने का समय
मंदिर सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक खुला रहता है, लेकिन दिन में 11:30 से 12:00 बजे तक 30 मिनट के लिए भोग लगाने के कारण यह बंद रहता है. इसके अलावा शाम को 3:00 से 4:00 बजे के बीच साफ-सफाई के लिए भी मंदिर बंद रहता है. साथ ही अन्य समय में दर्शन और पूजा-पाठ के लिए लोग आ सकते हैं. मंदिर में सुबह और शाम 2 बार आरती होती है, जिसमें शाम की आरती को तांत्रिक आरती कहा जाता है. मौसम के अनुसार आरतियों के समय में बदलाव होता है. हर दिन अलग-अलग पुजारी पूजा-पाठ करते हैं.



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