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Haridwar News: धार्मिक ग्रंथ दुर्गा सप्तशती में वर्णित इस स्तोत्र का पाठ सबसे आखिर में किया जाए, तो जाने-अनजाने या भूलवश हुई त्रुटि भी देवी मां माफ कर देती हैं, जिससे संपूर्ण फल प्राप्त होता है.
हरिद्वार: गुप्त नवरात्रि हो या प्रगति नवरात्रि सभी में दुर्गा सप्तशती के पाठ का सबसे अधिक महत्व बताया गया है. संवत में चार बार होने वाली नवरात्रि के दिनों में देवी कवच अर्गला स्तोत्र तिलक स्तोत्र का पाठ विधि अनुसार करने पर अनेक चमत्कारी लाभ मिलते हैं. नवरात्रि के 9 दिनों में आदिशक्ति के 9 रूपों की पूजा अर्चना आराधना करने का विधान बताया गया है.
इन 9 दिनों में मार्कंडेय पुराण से ली गई दुर्गा सप्तशती का पाठ सबसे अधिक लाभदायक बताया गया है. दुर्गा सप्तशती में कुल 700 श्लोक और 13 अध्याय हैं. यदि नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में जाने-अनजाने में कोई त्रुटि हो जाए, तो संपूर्ण फल कैसे प्राप्त होगा इसका भी उपाय बताया गया है. चलिए विस्तार से जानते हैं…
क्या है मान्यताएं
हरिद्वार के विद्वान धर्माचार्य ने इसकी अधिक जानकारी देते हुए बताया कि नवरात्रि के दिनों में आदिशक्ति की आराधना और पूजा पाठ करने पर विशेष फलों की प्राप्ति होती है. नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की आराधना पूजा पाठ व्रत स्तोत्र आदि किए जाते हैं, जिनसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है और इसका फल कभी खत्म नहीं होता है. यदि नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हुए जाने अनजाने या भूलवश कोई त्रुटि हो जाए तो उसकी संपूर्ण फल नहीं मिलता.
वहीं यदि धार्मिक ग्रंथ दुर्गा सप्तशती में वर्णित देव्यापराध क्षमा याचना स्तोत्र का पाठ सबसे आखिर में किया जाए, तो जाने अनजाने या भूलवश हुई त्रुटि भी देवी मां माफ कर देती हैं और दुर्गा सप्तशती के सभी स्तोत्रों के पाठ का संपूर्ण रूप करने पर अधिक फल प्राप्त होता है.
कब करें इस स्तोत्र का पाठ
दुर्गा सप्तशती में वर्णित देव्यापराध क्षमा याचना स्तोत्र बेहद शक्तिशाली और चमत्कारी स्त्रोत है. नवरात्रि के दिनों में इस स्तोत्र का पाठ दुर्गा सप्तशती के आखिरी में किया जाता है. इस स्तोत्र का पाठ करने से जाने-अनजाने में हुए सभी अपराध और देवी कवच, अर्गला आदि स्तोत्र का जाने अनजाने में उच्चारण का कोई दुष्परिणाम नहीं मिलता है, बल्कि दुर्गा सप्तशती का अक्षय फल प्राप्त होता है और देवी मां सदैव आशीर्वाद बनाए रखती हैं. इस स्तोत्र का पाठ कन्या पूजन से पहले करने का विधान बताया गया है.