Last Updated:
Neelkanth Bird on Dussehra: दशहरा पर नीलकंठ पक्षी का दिखना शुभ माना जाता है, श्री राम ने रावण वध से पहले इसके दर्शन किए थे. नीलकंठ का नाम भगवान शिव के नीले गले से जुड़ा है.
Neelkanth Bird on Dussehra: ‘नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो’..! यह लोकोक्ति उत्तर भारत में काफी चलन में है. हालांकि, आप समझ ही गए होंगे कि ये लोकोक्ति नीलकंठ पक्षी के लिए कही गई है. यह पक्षी भगवान शिव के रूप की तरह पूजी जाती है. दशहरा के दिन इस पक्षी यानी नीलकंठ को देना बेहद शुभ माना जाता है. यही नहीं, लोग नीलकंठ को देखने के लिए सुबह से ही आसमान की ओर टकटकी लगा लेते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि दशहरा या विजयादशमी के दिन नीलकंठ का दिखना बेहद शुभ माना जाता है? नीलकंठ को देखने का धार्मिक महत्व क्या है? दशहरा पर नीलकंठ दिख जाए तो क्या होगा? इस बार दशहरा कब? आइए जानते हैं इस बारे में-
देशभर में दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत के तौर पर मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार दशहरा 02 अक्तूबर 2025 दिन गुरुवार को है. इस दिन बुराई का प्रतीक लंका नरेश रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला जलाया जाता है.
दशहरे पर दिखना क्यों माना जाता शुभ?
नीलकंठ को दशहरे (Dussehra) के दिन देखना बेहद शुभ होता है. माना जाता है कि जिसे भी ये चिड़िया दशहरे के दिन नजर आती है उसे धन का लाभ होता है और उसकी किस्मत चमक जाती है. इसके पीछे भी एक कहानी है. दरअसल, भगवान राम ने नीलकंठ पक्षी को देखने के बाद ही रावण का वध किया था जिसे दशहरा के रूप में मनाया जाता है. इस वजह से चिड़िया को गुड लक का प्रतीक भी मानते हैं.
दशहरा पर नीलकंठ को देखने की धार्मिक मान्यताएं
मान्यता-1: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दशहरा पर नीलकंठ पक्षी को देखना श्री राम के लंका पर विजय प्राप्त करने से संबंधित है. मान्यता है कि जब भगवान श्री राम लंकापति रावण का वध करने के लिए जा रहे थे, तो उससे पहले शमी के पेड़ की पूजा की और पत्तों को छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया. फिर राम जी ने नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए. तत्पश्चात भगवन ने अत्याचारी रावण पर अपनी विजय दर्ज की. इसी कारण से नीलकंठ पक्षी को विजय और शुभता का संकेत माना गया है.
मान्यता-2: जब श्री राम ने रावण का वध किया था तो उनके ऊपर ब्राह्मण के हत्या का पाप लगा था. इस दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने शिवजी की कठिन तपस्या की. राम जी की इस तपस्या और पूजा-पाठ को देखकर शंकर भगवान खुश हुए थे और धरती पर नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर गए थे और राम जी को दर्शन दिए थे. इसके बाद ही राम जी को इस हत्या दोष से मुक्ति मिली थी. इसी कारण से दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना शुभ माना गया है.
नीलकंठ को कैसे मिला शिवजी का नाम?
पक्षी का नाम नीलकंठ, भगवान शिव के नाम पर पड़ा है. समुद्र मंथन ने दौरान जब विष से भार कलश निकला तो भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए उसे पी लिया जिसके बाद उनका गाला नीला पड़ गया. इस कारण से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा. नीला रंग होने के कारण इस पक्षी को भी भगवान शिव का ही रूप माना जाता है. यही वजह है कि इसे भारत में नीलकंठ नाम से पुकारते हैं.
ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क…और पढ़ें
ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क… और पढ़ें