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Chhatarpur News: पंडित नंदबाबू शुक्ला ने Bharat.one से कहा कि बहुत से लोग कुशा को पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि यह घास भी सामान्य चारे की तरह ही दिखती है लेकिन इसकी पहचान यह है कि इस चारे की नोक धारदार होती है. इस घास की लंबाई की बात करें, तो यह 4 से 5 फीट तक लंबी होती है.
साल में इस दिन ही तोड़ सकते हैं कुशा चारा
पंडित नंदबाबू शुक्ला बताते हैं कि साल में इसे एक दिन ही खोदा जाता है. इसके खोदने का भी एक शुभ मुहूर्त होता है. भाद्र महीने की अमावस्या के दिन नहा-धोकर इस घास को तोड़ा जाता है. अगर इसी दिन खोदा तभी कुशा माना जाता है. इस दिन के अलावा इसे खोदा, तो यह भी चारे की ही कैटेगरी में आएगा.
वह आगे बताते हैं कि इस चारे को खुरपी या हसिया से नहीं काटा जाता है बल्कि इसे उखाड़ा जाता है. इसे जड़ सहित उखाड़ना होता है क्योंकि जड़ ही इसकी पूजनीय होती है.
ऐसे करते हैं कुशा घास की पहचान
पंडित नंदबाबू शुक्ला आगे बताते हैं कि बहुत से लोग कुशा घास को पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि यह चारा भी सामान्य चारे की तरह ही दिखता है लेकिन इसकी पहचान यह है कि इस घास की नोक धारदार होती है. इसकी लंबाई की बात करें, तो यह घास 4 से 5 फीट लंबी होती है. कर्मकांड में इसी घास का उपयोग किया जाता है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.