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Pitru Paksha 2025: गया से पहले नहीं किया काशी के इस खास तीर्थ में पिंडदान…तो अधूरा रह जाता है श्राद्ध, जानें मान्यता

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Pitru Paksha 2025: वाराणसी में पितृपक्ष पर पितरों के आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए पिंडदान और श्राद्ध का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है. पितृपक्ष के दौरान गया में होने वाला श्राद्ध तब तक अधूरा माना जाता है जब…और पढ़ें

वाराणसी: पितृपक्ष के महापर्व की शुरुआत हो गई है. इस पावन अवसर पर लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध करते हैं. कुछ लोग इसके लिए गया भी जाते हैं. लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार गया में श्राद्ध ( Pitra Paksha) तब तक अधूरा माना जाता है जब तक काशी में पितरों का पिंडदान नहीं किया जाता. यह परंपरा और धार्मिक विश्वास वर्षों से चला आ रहा है.

काशी के विद्वान पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए इस पृथ्वी पर दो प्रमुख तीर्थ स्थल हैं, पहला काशी और दूसरा गया. हालांकि गया में श्राद्ध और पिंडदान से पहले काशी में पितरों का पिंडदान करना जरूरी है.

गया से पहले काशी में पिंडदान क्यों है जरूरी?
काशी मोक्ष की नगरी मानी जाती है और यहां का पिशाच मोचन तीर्थ विशेष महत्व रखता है. इसलिए गया जाने से पहले इस तीर्थ पर पितरों के लिए पूजा-पाठ करना आवश्यक है. धार्मिक मान्यता है कि काशी में पिशाच मोचन तीर्थ पर पिंडदान करने से प्रेत योनि में जाने वाले पितर भी तृप्त हो जाते हैं और उन्हें मुक्ति मिलती है. इसके बाद अगर गया में पिंडदान किया जाए, तो पितर वहां बैठ जाते हैं और मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं. पंडित संजय उपाध्याय ने स्पष्ट किया कि पितरों का श्राद्ध तभी पूर्ण माना जाता है जब गया जाने से पहले काशी के पिशाच मोचन तीर्थ पर उनका पिंडदान किया जाए.
पितरों को मिलती है मुक्ति
काशी का पिशाच मोचन तीर्थ ऐसा चमत्कारिक स्थल है जहां स्नान करने से पिशाच बाधा, भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है. यहां पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं. मान्यता है कि स्वयं भगवान विष्णु ने इस कुंड को पिशाच मोचन का वरदान दिया है, ताकि जो कोई भी श्रद्धा से यहां स्नान और पूजा करे, उसके जीवन से अशुभ बाधाएं दूर हों. पूरे विश्व में यह तीर्थ स्थल विशेष इसलिए माना जाता है क्योंकि यहां अकाल मृत्यु से प्रेत योनि में प्रवेश किए पितरों को मुक्ति मिलती है.
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Seema Nath

पिछले 5 साल से मीडिया में सक्रिय, वर्तमान में Bharat.one हिंदी में कार्यरत. डिजिटल और प्रिंट मीडिया दोनों का अनुभव है. मुझे लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें लिखना और पढ़ना पसंद है.

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गया से पहले काशी के इस तीर्थ में पिंडदान करना क्यों है जरूरी, जानिए मान्यता!

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