पितृ पक्ष का प्रारंभ 8 सितंबर दिन रविवार से हो रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार पितृ पक्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर अमावस्या तिथि तक चलता है. आश्विन माह का पूरा कृष्ण पक्ष पितरों के तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि के लिए समर्पित होता है, जिसे पितृ पक्ष के नाम से जानते हैं. पितृ पक्ष पितरों की पूजा और श्रद्धा से जुड़ा पर्व है. इसमें पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान, पिंडदान, श्राद्ध आदि करते हैं. परिवार के जिस सदस्य का निधन हो जाता है, वही उस परिवार का पितर होता है. पितरों में व्यक्ति का पिता, मां, दादा, दादी, चाचा, चाची, नाना, नानी आदि सगे-संबंधी हो सकते हैं. जिस तिथि पर व्यक्ति का निधन होता है, उसी तिथि पर पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि करते हैं. सवाल यह है कि किसी को अपने पितरों के निधन की तारीख पता नहीं है तो वह पितृ पक्ष में उनके लिए श्राद्ध और तर्पण कैसे करेगा?
पितर की तिथि पता नहीं है तो क्या करें?
शास्त्रों के अनुसार, जब किसी की मृत्यु किसी भी माह के किसी भी पक्ष की किसी भी तिथि को होता है तो पितृ पक्ष की 15 तिथियों में संबंधित तिथि पर उसका श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान किया जाता है. जैसे किसी की मृत्यु चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि को हुई है, तो उसके लिए तर्पण और श्राद्ध पितृ पक्ष की द्वितीया तिथि पर होगी.
जिस व्यक्ति के निधन की तिथि पता नहीं है तो उसके लिए भी शास्त्रों में व्यवस्था दी गई है. पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या आती है, जिसे आश्विन अमावस्या भी कहते हैं. पंचांग के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पड़ती है.
पितृ पक्ष में नवमी तिथि आती है, जिसे मातृ श्राद्ध या नवमी श्राद्ध कहते हैं. इस दिन उन मातृ पितरों का श्राद्ध होता है, जो सुहागन रहते ही स्वर्ग लोक चली गईं.
सर्व पितृ अमावस्या की तारीख
इस साल सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर, दिन रविवार को है. सर्व पितृ अमावस्या पर भूले-विसरे, ज्ञात, अज्ञात सभी प्रकार के पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान, दान, पंचबलि कर्म करते हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)