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प्रेमानंद महाराज ने एक लड़की को जीवनसाथी जैसे संबंध बनाने पर फटकार लगाई और कहा कि मनुष्य जीवन का लाभ भगवान की भक्ति में होना चाहिए. उन्होंने अनुशासन और ब्रह्मचर्य का पालन करने की सलाह दी.

अवैध संबंधों पर लड़की का सवाल सुन भड़के प्रेमानंद महाराज.
Premanand ji Maharaj: हमारे जीवन में कई बार ऐसे पल आते हैं, जब हम सही और गलत की पहचान नहीं कर पाते. ऐसे में सभी को जीवन में एक ऐसे मार्गदर्शक की जरूरत होती है, जो बुरे समय में भी सही रास्ता दिखाए. अपने क्लासमेट के साथ शादी से पहले ही जीवनसाथी जैसे संबंध बनाने वाली एक लड़की अपने जीवन के द्वंद को लेकर वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के सामने पहुंचीं. यूं तो प्रेमानंद महाराज के सामने अक्सर लोग भागवतिक सवाल लेकर पहुंचते हैं, लेकिन जब एक जवान लड़की अपने जीवन की दुविधा लेकर पहुंची तो प्रेमानंद महाराज की नाराजगी साफ नजर आई. उन्होंने गुस्से में यहां तक कह दिया, ‘अरे धिक्कार है ऐसे जीवन पर, कि मनुष्य जीवन मिलने पर भगवान के लिए तुम्हारे मन में बात नहीं आई कि ‘मैं भगवान को भूल नहीं पाती हूं.’
उसे भूल नहीं पा रही हूं…
इस लड़की ने अपने सवाल में पूछा, ‘कुछ महीने पहले मेरी एक सहपाठी से मित्रता हो गई और मैं उसमें आसक्त हो गई. हमने एक-दूसरे से जीवनसाथी जैसे संबंध भी बना लिए. हालांकि वो रिश्ता दिन तक टिका नहीं. कुछ परिस्थितियां आई और सब खत्म हो गया. लेकिन मेरी उसमें आसक्ति इतनी ज्यादा हो गई कि मैं उसे भूल नहीं पा रही हूं.’ ये सुनते ही प्रेमानंद महाराज से रुका नहीं गया और उन्होंने कहा, ‘अब वासनाओं के खेल खेलोगी मन मलिन होगा तो भूल क्या पाओगी. अरे धिक्कार है ऐसे जीवन पर, कि मनुष्य जीवन मिलने पर भगवान के लिए बात नहीं आई कि ‘मैं भगवान को भूल नहीं पाती हूं.’ इस जीवन का तो लाभ होना चाहिए. इन नाशवान शरीरों में आसक्ति करके इंद्रियजन्य सुखों में भोग-सुख का अनुभव करके कहती हो, ‘मैं उनको भूल नहीं पाती’ तो धिक्कार है तुम्हारी बुद्धि को. तुमने अपने जीवन को पतित कर, भ्रष्ट कर, बुद्धि को मनुष्य में आसक्त कर लिया है. यही तो नरक जाने का रास्ता है.
ब्रेकअप फिर बॉयफ्रेंड और फिर ब्रेकअप…
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, ‘जीवन साथी चुनना है तो एक बार चुनों और आजीवन उसका निर्वाह करो. ये कौनसा तरीका है, कि आज इसके साथ कल उसके साथ. आजकल लोग क्या कर रहे हैं, ब्रेकअप, बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड, ब्रेकअप फिर बॉयफ्रेंड और फिर ब्रेकअप. फिर तीसरा बॉयफ्रेंड. ये क्या है?’ प्रेमानंद जी आगे कहते हैं कि आज के बच्चों पर किसी तरह का अनुशासन नहीं है. न वह माता-पिता की सुन रहे, न समाज की, न धर्म की. मनमानी आचरण कर रहे हैं और इसलिए ऐसे हालात हैं. वह कहते हैं कि ये किसी एक व्यक्ति की बात नहीं है, बल्कि आजकल चारों तरफ यही प्रवृत्ति देखने को मिल रही है.
वह आगे समझाते हुए कहते हैं, ‘अगर स्त्री शरीर है तो किसी एक पुरुष का एक बार वरण करो और आजीवन उसी का साथ निभाओ. अगर साथ छूट जाए तो ब्रह्मचर्य से रहो, आजीवन ब्रह्मचर्य से रहो. काम, क्रोध और मोह, ये तीन नरक के द्वार हैं. तुम कहती हो, भूल नहीं पातीं, तुम्हें घृणा हो जानी चाहिए कि जिसके लिए मैंने शरीर समर्पित किया वो आदमी मेरा नहीं हुआ. वो आदमी भूलने योग्य ही नहीं, बल्कि घृणा करने योग्य है.