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Pret Shrap: प्रेत श्राप से बिक जाती है प्रॉपर्टी, पाई-पाई के लिए हो जाएंगे मोहताज, नहीं होगी संतान! जानें मुक्ति के 3 उपाय

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Pret Shrap yog kya hai: यदि प्रेत श्राप योग बना है, तो आपको संतान दोष हो सकता है. आपको पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी. आपके वंश की वद्धि नहीं होगी. आप संतानहीन रहेंगे. आज आपको प्रेत श्राप के बारे में बताते हैं कि …और पढ़ें

प्रेत श्राप से बिक जाती है प्रॉपर्टी, पाई-पाई को होंगे मोहताज! जानें उपाय

प्रेत श्राप से होने वाले नुकसान

हाइलाइट्स

  • कई बार व्यक्ति को मृत्यु के बाद सद्गति नहीं मिल पाती है.
  • वह प्रेत योनि में विचरण करता है.
  • प्रेत के श्राप से मनुष्य को कई कष्ट झेलने पड़ते हैं.

सनातन धर्म में कहा गया है कि जो लोग अपने माता पिता को दुख देते हैं, अपने पूर्वजों का सम्मान नहीं करते हैं, उन्हें पितृ दोष लगता है. उसे पितृ श्राप के तौर पर भी जानते हैं. पितृ श्राप के अलावा मातृ श्राप और प्रेत श्राप भी होता है. आपको पहले पितृ श्राप और मातृ श्राप के बारे में बता चुके हैं. आज आपको प्रेत श्राप के बारे में बताते हैं कि यह कैसे लगता है? कुंडली में किस वजह से प्रेत श्राप का योग बनता है? प्रेत श्राप के कारण कौन से नुकसान होते हैं? प्रेत श्राप से मुक्ति के उपाय क्या हैं?

प्रेत श्राप क्या होता है?
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, कई बार व्यक्ति को मृत्यु के बाद सद्गति नहीं मिल पाती है, वह प्रेत योनि में विचरण करता है. उसके मोक्ष के लिए उसकी संतान को उपाय करने होते हैं, यदि ऐसा नहीं किया तो प्रेत की अवज्ञा और उसके श्राप से मनुष्य को कष्ट झेलने पड़ते हैं. ज्योतिष मतों के अनुसार, कुछ लोग इसे पिछले जन्म के दोषों से जोड़कर देखते हैं.

कैसे बनता है प्रेत श्राप योग?
कुंडली में यह योग शनि और राहु या फिर शनि और केतु की युति के कारण बनता है. कुंडली के जिस भाव में प्रेत योग बनता है, उस पर बुरा असर डालता है. यह शुभ फलों को खत्म कर देता है.

प्रेत श्राप से कौन से नुकसान होते हैं?
1. यदि आपकी कुंडली में प्रेत श्राप योग बना है, तो आपको संतान दोष हो सकता है. आपको पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी. आपके वंश की वद्धि नहीं होगी. आप संतानहीन रहेंगे.

– कुंडली के लग्न में राहु और 5वें भाव में शनि हों, पंचमेश गुरु 8वें भाव में हों तो प्रेत श्राप के कारण व्यक्ति संतानहीन होता है या संतान से जुड़े कष्ट होते हैं.

– लग्न में मंगल और राहु की युति हो या फिर उनकी दृष्टि हो या शनि 5वें भाव में रहे तो प्रेम श्राप के कारण पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है.

– 5वें भाव में सूर्य, शनि और 7वें नीच का चंद्रमा हो, लग्न में राहु और 12वें घर में गुरु की उपस्थिति हो तो प्रेत श्राप योग के कारण वंश वृद्धि में बाधाएं आती हैं.

– 5वें भाव में राहु, लग्न में शनि, 8वें भाव में सूर्य और खर्च वाले घर में मंगल होता है तो उस व्यक्ति को पुत्र की हानि हो सकती है.

2. प्रेत श्राप योग के कारण संपत्ति विवाद हो सकता है.

3. प्रेत श्राप की वजह से आप पर इतना कर्ज हो सकता है कि उसे आप चुका न पाएं. आप पाई-पाई के लिए मोहताज हो सकते हैं.

4. प्रेत श्राप के कारण आपका बिजनेस बंद हो सकता है, व्यापार में हमेशा घाटा हो सकता है, जो काम करेंगे, वह असफल होगा. कामयाबी नहीं मिलेगी.

5. प्रेत श्राप योग की वजह से नौकरी में सस्याएं आएंगी. नौकरी बार-बार छूट जाएगी.

6. प्रेत श्राप से दांपत्य जीवन में खटास और अलगाव की स्थिति बन सकती है.

7. प्रेत श्राप की वजह से व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव में आ सकता है. इसकी वजह से परेशानी हो सकती है.

प्रेत श्राप से मुक्ति के उपाय
1. प्रेत श्राप से मुक्ति के लिए अपने पूर्वजों का विधि विधान से श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि कराएं. इससे लाभ मिलेगा.

2. राहु, केतु और शनि के कारण प्रेत श्राप योग बनता है, इसलिए आप इनके उपाय करके राहत पा सकते हैं.

3. प्रेत श्राप मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराएं.

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