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Puri Jagannath Temple Bhog: जगन्नाथ पुरी मंदिर के महाप्रसाद में क्यों नहीं होता टमाटर का उपयोग? जानें इसका रहस्य

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Puri Jagannath Temple Bhog: देशभर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जो कि लोकआस्था का प्रमुख केंद्र माने जाते हैं और इन्हीं मंदिरों में से एक ओडिशा के पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ जी मंदिर भी शामिल है. जहां ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भी लोग जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए आते हैं. भगवान जगन्नाथ श्रीहरि विष्णु जी का एक रूप है, जो कि हिंदू धर्म में सर्वोच्च त्रिदेवों में से एक हैं.

जगन्नाथ पुरी का यह मंदिर मुख्य रूप से अपनी वार्षिक रथयात्रा के लिए प्रसिद्ध है. जिसमें शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के बाद 56 भोग का महाप्रसाद खाने के लिए यहां आते हैं. मान्यताओं के अनुसार यहां की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है, जो प्रतिदिन हजारों लोगों को सेवा प्रदान की जाती है. लेकिन आपको बता दें कि जगन्नाथ पुरी के इस रहस्यों से भरे मंदिर की रसोई में जो प्रसाद बनाया जाता है उसमें टमाटर का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है. लेकिन क्यों? तो आइए इस बारे में जानते हैं.

क्यों नहीं किया जाता टमाटर का उपयोग
दरअसल, उड़िया में टमाटर को बिलाती (जो कि एक विदेशी नाम है) के नाम से जाना जाता है. इसलिए जगन्नाथ पुरी मंदिर में बनने वाले प्रसाद में टमाटर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, भारत में टमाटर को पहले के समय में विदेशियों के द्वारा उगाया जाता था और उन्हीं के द्वारा ही इसे भारत में भी लाया गया था. इसलिए इसे जगन्नाथ पुरी मंदिर में उपयोग करने पर बैन है. हालांकि यहां सिर्फ टमाटर ही नहीं. बल्कि आलू सहित कई अन्य सब्जियों पर भी बैन है.

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जगन्नाथ पुरी मंदिर के प्रसाद में ये सब्जियां भी हैं प्रतिबंधित
आपको बता दें भोग में टमाटर सहित आलू, फूलगोभी, पत्तागोभी, चुकंदर, मक्का, हरी मटर, गाजर, शलजम, बेल मिर्च, धनिया, बीन्स, मिर्च, हरी बीन्स, करेला, भिंडी और खीरे जैसी सब्जियों को भी महाप्रसाद में शामिल करने से रोक दिया गया है.

क्यों प्रतिबंधित हैं विदेशी सब्जियां
दरअसल, माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर में जो महाप्रसाद भगवान को चढ़ाने के लिए तैयार किया जाता है, उसकी पूरी सामग्रियां लोकल होती हैं. इसमें स्थानीय फूड का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं, यहां मंदिर में भोग को बनाने के लिए भी मिट्टी और ईंट से बने बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है.

जानकारी के अनुसार, यह महाप्रसाद बनाने के लिए मिट्टी और ईंट से बने 240 स्टोव हैं. जिनमें भोग तैयार किया जाता है. प्रत्येक चूल्हे पर 9 बर्तनों को एक के ऊपर एक रखकर खाना पकाया जाता है. बताया जाता है कि ये 9 बर्तन का अंक 9 नवग्रह, 9 धान्य और 9 दुर्गाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.

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