देवघर: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. साल मे कुल 24 एकादशी होती हैं. मान्यता है कि एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है. लेकिन, नए साल 2025 की पहली एकादशी बेहद खास है. पौष माह के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए यह एकादशी फलदायी मानी गई है. आचार्य से जानें इस व्रत की पूजा विधि, तिथि और महत्व.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Bharat.one को बताया कि नए साल 2025 की पहली एकादशी 10 जनवरी को पड़ेगी. पौष महीने के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और तुलसी पूजन अवश्य करना चाहिए. पुत्र या संतान की इच्छा रखने वाले दंपति अगर पुत्रदा एकादशी के दिन विशेष उपाय कर लें तो उनकी मनोकामनाएं आवश्यक पूर्ण हो जाती हैं. अगर संतान प्राप्ति में दिक्कत है तो पुत्रदा एकादशी का व्रत रखना चाहिए.
कब शुरू होगी एकादशी तिथि?
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, साल की पहली एकादशी यानी पुत्रदा एकादशी तिथि की शुरुआत 9 जनवरी दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर हो जाएगी. इसका समापन अगले दिन यानी 10 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 43 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को ही रखा जाएगा. इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं.
पुत्रदा एकादशी के दिन करें उपाय
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि पुत्र या संतान की इच्छा रखने वाले दंपति अगर पुत्रदा एकादशी पर कुछ विशेष उपाय करें तो अगली पुत्रदा एकादशी तक मनोकामना अवश्य पूर्ण हो जाएगी. पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराकर पंचोपचार विधि से पूजा करनी है. साथ ही लड्डू गोपाल का मनपसंद भोग अवश्य लगाएं. इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होंगे और मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण करेंगे.
FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 09:06 IST
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