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Saharsa Chhath Ghat Hindu Muslim unity sets example of humanity

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Chhath Puja 2025: सहरसा बस्ती की बड़ी पोखर पर छठ घाट हिंदू मुस्लिम एकता और गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है. जहां मो.अकबर समेत मुस्लिम युवा छठ पर्व की सेवा और सुरक्षा में जुटे रहते हैं.

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सहरसा: कौन हिंदू, कौन मुसलमान, एक ही रंग में जो रंग जाए, उसी को तो इंसानियत कहते हैं. यह पंक्ति सहरसा बस्ती स्थित बड़ी पोखर के छठ घाट पर पूरी तरह चरितार्थ होती है. ईदगाह के ठीक बगल में स्थित यह घाट सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि बिहार की सांप्रदायिक सद्भावना और गंगा-जमुनी तहजीब की जीती-जागती मिसाल है. यहां मुस्लिम समुदाय के लोग न केवल घाट की तैयारी करते हैं, बल्कि पूरे पर्व के दौरान हिंदू व्रतियों की सेवा और सुरक्षा में भी जुटे रहते हैं.

अकबर पोखर की सफाई में जुट जाते
दिवाली के बाद से ही यहां का नजारा बदल जाता है. मो.अकबर जैसे दर्जनों मुस्लिम युवा इस पोखर की सफाई में जुट जाते हैं. वे पानी से घास और कीचड़ हटाते हैं, घाट तक जाने वाले रास्ते को सुगम बनाते हैं, और पूरे घाट को बांस-बल्लियों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं. साफ-सफाई से लेकर व्रतियों की सुरक्षा तक, हर जिम्मेदारी यहां के मुस्लिम युवा अपने कंधों पर उठाते हैं. यह अद्भुत दृश्य देखकर किसी के भी दिल में खुशी की लहर दौड़ जाती है.

नफरत फैलाने वालों के मुंह पर तमाचा
स्थानीय युवा मो.अकबर कहते हैं यह नफरत फैलाने वालों के मुंह पर तमाचा है. यहां हम हिंदू-मुस्लिम भाई मिलकर इस त्योहार को शांति और खुशी से मनाते हैं और पूरे देश में अमन-चैन और शांति का संदेश देते हैं.

इनके बिना छठ मनाना संभव नहीं
स्थानीय निवासी दीपक कुमार बताते हैं कि सहरसा बस्ती के मुस्लिम समाज के लोगों के सहयोग के बिना इतने भव्य और शांतिपूर्ण तरीके से छठ मनाना संभव नहीं है. वह कहते हैं कि इन्हीं लोगों के सहयोग से हम शांतिपूर्ण माहौल में और अच्छी तरह से छठ पर्व मना पाते हैं. यहां के मुस्लिम युवा समाज के बीच एक अच्छा संदेश रखने का काम करते हैं.

दो धर्मों के पवित्र मिलन का प्रतीक
जब डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए हजारों श्रद्धालु इस घाट पर जुटते हैं और उगते सूर्य का स्वागत करते हैं, तो यह नजारा सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि दो धर्मों के पवित्र मिलन का प्रतीक बन जाता है. अकबर के साथ करीब 20-25 मुस्लिम युवाओं की टीम यह सुनिश्चित करती है कि किसी व्रती को कोई परेशानी न हो. सहरसा का यह छठ घाट इस बात का प्रमाण है कि मजहब की दीवारें आस्था और इंसानियत के आगे कितनी छोटी हैं.

Amit ranjan

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और Bharat.one तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें

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सहरसा का छठ घाट! जहां ‘अकबर’ सजाते हैं घाट और ‘दीपक’ देते हैं अर्घ्य

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