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Shardiya Navratri 2025: इस विधि से करें माता दुर्गा की विदाई, जाते-जाते मां भर देगी सुख समृद्धि से झोली

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Shardiya Navratri 2025: नवरात्री के दशमी तिथि के दिन मां दुर्गा की विदाई की जाती है. पूरे विधि विधान के साथ मां दुर्गा की विदाई करने से मां जाते-जाते भक्त के ऊपर कृपा बरसा जाती हैं.

देवघर. शारदीय नवरात्रि अब अपने समापन की ओर है. विजयादशमी के दिन नवरात्रि का समापन हो जाता है. जो भक्त अपने-अपने घर में या पूजा पंडालों में कलश स्थापन करते है या मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं. वहीं कई भक्त मां दुर्गा की विदाई और कलश विसर्जन उसी दिन करते हैं तो कई भक्त एक दो दिन बाद करते है. लेकिन मां दुर्गा की विदाई भी विधि विधान के साथ की जाती है. तभी शुभ फल की प्राप्ति होती है. हम आपको बताते हैं कि किस नियम से मां दुर्गा की विदाई करें, जिससे जाते-जाते मां दुर्गा घर पर कृपा बरसाते हुए जाए जानिए देवघर के ज्योतिषाचार्य से?

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Bharat.one के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना के बाद यानी 10वें दिन उन्हें विसर्जित करना पड़ता है. इस साल 2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के दिन दोपहर 02.56 बजे तक यह किया जा सकता है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापन किया जाता है लेकिन उस कलश को और प्रतिमा को विधि विधान के साथ ही विसर्जन करना चाहिए.

इस विधि से करें विसर्जन
ज्योतिषाचार्य कहते हैं भक्त विसर्जन से पहले देवी दुर्गा को धन्यवाद कहते हैं. उसके बाद षोडशोपर पूजन के बाद रोली, फूल, मिठाई आदि अर्पित करते हैं. उसके बाद मां की आरती की जाती है. इसके बाद माता को सिंदूर लगाते हैं. उसके बाद ढोल-नगाड़ों के साथ मूर्ति को किसी पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित कर देते हैं. पूजा के दौरान स्थापित कलश को भी विसर्जित करते हैं. कलश के जल को घर में छिड़कना चाहिए. उसके बाद भी यदि जल बच जाए तो उसको पीपल के पेड़ पर डालना चाहिए. जबकि नारियल व सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर घर के मंदिर या तिजोरी में रखना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इससे माता की कृपा बनी रहती है. धन्य-धान्य में बढ़ोतरी होती है.

गुरुवार को मां दुर्गा की विदाई करनी चाहिए या नहीं?
देवी दुर्गा को शिव की पत्नी होने के कारण माता कहा गया है. लेकिन यह हिमालय की पुत्री होने के कारण पृथ्वी वासियों के लिए बेटी भी हैं. देवी के भक्त माता की अगवानी और विदाई दोनों ही पुत्री के रूप में ही करते हैं. इसलिए माता का खोइंछा भरा जाता है. माता को विदाई के लिए श्रृंगार सामग्री, वस्त्र, मिठाई, चावल, जीरा, धन खोइंछा में दिया जाता है. माता को विदा करते समय श्रद्धालुओं की आंखों में वैसे ही आंसू भरे होते हैं जैसे बेटी विदा कर रहे हों. गुरुवार को बेटी को विदा करने से मायका गरीब होता है.मायके में कई तरह की परेशानियां आती हैं. मायका और ससुराल दोनों खुशहाल रहे इसलिए बेटियों को और माता दुर्गा की विदाई गुरुवार को नहीं होती है.

Mohd Majid

with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f…और पढ़ें

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इस विधि से करें माता दुर्गा की विदाई, जाते-जाते मां भर देगी झोली

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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