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shardiya navratri 2025 day 6 skanda mata puja Know shubh yog puja Vidhi and importance of skandamata puja | शुभ योग में करें मां स्कंदमाता की पूजा, जानें महत्व और इस विधि से पाएं ज्ञान और शक्ति का आशीर्वाद

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Shardiya Navratri 2025 Day 6 Skanda Mata Puja : आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शुक्रवार को नवरात्रि का छठवां दिन है. इस दिन मां दुर्गा की पांचवी शक्ति मां स्कंदमाता की आराधना की जाएगी, जो माता पार्वती का मातृत्वपूर्ण स्वरूप हैं. इनकी पूजा करने से संतान सुख, ज्ञान, शक्ति, और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि आती है. वे भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, इसलिए उनका नाम स्कंदमाता है. इन्हें गोद में बाल स्कंद के साथ दर्शाया जाता है और इनका वाहन सिंह है. आइए जानते हैं स्कंदमाता पूजा का महत्व और पूजा विधि…

शुभ योग मां स्कंदमाता की पूजा
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा दोपहर के 3 बजकर 23 मिनट तक तुला राशि में रहेंगे. इसके बाद वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे. इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 10 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. नवरात्रि के पांचवे दिन प्रीति योग, आयुष्मान योग, रवि योग, बुधादित्य योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है.

मोक्ष का मार्ग होता है प्रशस्त
पुराणों के अनुसार, भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. कमल के आसन पर विराजमान होने से इन्हें पद्मासना देवी के नाम से भी जाना जाता है. चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता अभय मुद्रा में अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और गोद में छह मुख वाले बाल स्कंद को धारण करती हैं. कमल पुष्प लिए यह देवी शांति, पवित्रता और सकारात्मकता की प्रतीक हैं. स्कंदमाता की उपासना से साधक को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है.

मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व
मां स्कंदमाता की कृपा से घर में धन, धान्य और समृद्धि आती है। ग्रहों में ये बुध ग्रह पर विशेष प्रभाव डालती हैं, जिससे बुद्धि और वाणी की सिद्धि होती है. मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और शत्रुओं का नाश होता है. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री होने के कारण इनकी उपासना करने वाला भक्त तेजस्वी और कांतिमय बनता है. शास्त्रों में इनकी महिमा का वर्णन है कि इनकी भक्ति से भवसागर पार करना सरल हो जाता है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

स्कंदमाता की पूजा विधि
माता की विधि-विधान से पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें और हो सके तो पीले वस्त्र धारण करें, जो शांति और सकारात्मकता का प्रतीक है. माता की चौकी को साफ करें. इसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें. उन्हें पान, सुपारी, फूल, फल, अक्षत आदि अर्पित करें. इसके साथ ही श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल), चंदन, रोली आदि शामिल हों. फिर, मिठाई का भोग लगाएं.

स्कंदमाता की कथा का पाठ करें और उनके मंत्रों का जाप करें. इसके बाद मां दुर्गा की आरती करें और आचमन कर पूरे घर में आरती दिखाना न भूलें. अंत में प्रसाद ग्रहण करें, जिससे संतान और स्वास्थ्य संबंधी बाधाएं दूर होती हैं.मां स्कंदमाता की आराधना मन को एकाग्र और पवित्र बनाती है. यह पावन दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और सुख-समृद्धि का अवसर लेकर आता है.

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