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Sheetala Ashtami 2025: आज या कल? कब मनाई जा रही शीतला अष्टमी? यहां जानें सही तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

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Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी एक खास पर्व है, जो न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक और आर्थ‍िक समृद्धि के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. इस दिन की पूजा करने से परिवार में शांति और सुख का वास हो…और पढ़ें

आज या कल? कब मनाई जा रही शीतला अष्टमी? जानें सही तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

हाइलाइट्स

  • शीतला अष्टमी 2025 का पर्व 22 मार्च को मनाया जा रहा है.
  • इस दिन महिलाएं उपवास रखकर मां शीतला की पूजा करती हैं.
  • पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:48 से 5:35 बजे तक है.

Sheetala Ashtami 2025: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का पर्व एक विशेष महत्व रखता है, जिसे खासतौर पर घर की सुख-शांति और स्वास्थ्य की कामना के लिए मनाया जाता है. इस दिन को ‘बसौड़ा’ भी कहा जाता है, और यह हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है, जो परिवार में समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं. 22 मार्च यानी कि आज ही शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. आइए भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से जानते हैं शीतला अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

शीतला अष्टमी 2025 की सही तारीख
2025 में शीतला अष्टमी का पर्व 22 मार्च को यानी आज मनाया जा रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, यह अष्टमी तिथि होली के बाद आती है. इस बार, शीतला अष्टमी की तिथि 22 मार्च की सुबह 4:23 बजे से शुरू होकर 23 मार्च की सुबह 5:23 बजे तक रहेगी. यानी कि इस वर्ष शीतला अष्टमी शनिवार, 22 मार्च को है.

ध्यान रखने वाली बात यह है कि शीतला अष्टमी का महत्व मुख्य रूप से महिलाओं के लिए है. महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और घर में मां शीतला की पूजा करती हैं. इसके माध्यम से वे न सिर्फ घर की सुख-शांति की कामना करती हैं, बल्कि बच्चों की लंबी उम्र और परिवार की भलाई के लिए भी प्रार्थना करती हैं.

शीतला अष्टमी पूजा का महत्व
शीतला अष्टमी का पर्व खासतौर पर माता शीतला के आशीर्वाद से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि इस दिन विशेष रूप से उनके पूजन से घर में बुरी बीमारियों से छुटकारा मिलता है और समृद्धि में वृद्ध‍ि होती है. कुछ जगहों पर इसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन खाने-पीने की चीजों का वितरण होता है, जो कि आमतौर पर ठंडी होती हैं, जैसे कि खीर, पूड़ी, और चूड़ा. यह परंपरा इस विश्वास के साथ जुड़ी है कि इस दिन मां शीतला को प्रसन्न करने के लिए ठंडे भोजन का सेवन करना चाहिए.

इसके अलावा, महिलाएं विशेष रूप से अपने बच्चों के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. वे इस दिन न सिर्फ उपवास करती हैं, बल्कि शीतला माता की पूजा करती हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान करती हैं.

शीतला अष्टमी पूजा विधि
स्नान और व्रत का संकल्प: सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, अच्छे स्वच्छ कपड़े पहनें और शीतला अष्टमी का व्रत करने का संकल्प लें.

पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ करके वहां शीतला माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. माता के चित्र पर फूल, अक्षत, हल्दी, चंदन और रोली चढ़ाएं.

भोग अर्पित करें: शीतला माता को बासी भोजन अर्पित किया जाता है. इस दिन मीठे पूए, दही, बाजरे की रोटी और बेसन की पकौड़ी का भोग विशेष रूप से चढ़ाया जाता है.

मां शीतला की आरती: भोग अर्पित करने के बाद शीतला माता की आरती गाएं और उन्हें श्रद्धा से याद करें.

कथा का पाठ: शीतला अष्टमी की पूजा के बाद विशेष रूप से शीतला माता की कथा का पाठ किया जाता है. यह कथा भक्तों को माता के आशीर्वाद और उनके पुण्य को समझने में मदद करती है.

दीपक जलाना: पूजा के बाद घी का दीपक जलाएं और माता की आरती करें.

शीतला अष्टमी 2025 के शुभ मुहूर्त
इस दिन की पूजा के लिए 4 प्रमुख मुहूर्त हैं

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:48 बजे से 5:35 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:32 बजे से 6:56 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात 12:07 बजे से 12:56 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: रात 12:04 बजे से 12:52 बजे तक

इन मुहूर्तों में से किसी भी समय शीतला माता की पूजा करके भक्त उनके आशीर्वाद से सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति प्राप्त कर सकते हैं.

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