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Sheetala Ashtami 2025 शीतला अष्टमी 2025: जानें पूजा विधि और शुभ उपाय – आचार्य आनंद भारद्वाज

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Sheetala Ashtami 2025: हिन्दू धर्म में शीतला अष्टमी का व्रत काफ़ी महत्व रखता है. मान्यता है कि यह व्रत बच्चों की बीमारियों से रक्षा करने के लिए माताएं रखती हैं. इस दिन अगर कुछ विशेष उपाय कर लिए जाएं तो माता रानी…और पढ़ें

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शीतला अस्टमी उपाय 

हाइलाइट्स

  • शीतला अष्टमी का व्रत बच्चों की बीमारियों से रक्षा करता है.
  • 22 मार्च को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाएगा.
  • लाल वस्तुएं अर्पित करने से माता शीतला प्रसन्न होती हैं.

उज्जैन. हिंदू धर्म में मां दुर्गा के अनेक रूपों का महत्व है. मां शीतला भी दुर्गा जी का ही एक स्वरूप है. माता शीतला को शीतलता प्रदान करने वाला माना गया है. शीतला अष्टमी का पर्व कई मायनों में महत्वपूर्ण भी है. मान्यता है कि शीतला माता चर्म रोगों से भक्तों की रक्षा करती हैं. यही वजह है कि शीतला अष्टमी का पर्व ऋतु परिवर्तन का संकेत भी देता है. शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन किया जाता है. इस दिन अगर कुछ विशेष उपाय किया जाए तो माता बहुत प्रसन्न होती है. आइए उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते है कि अष्टमी के दिन कौनसा उपाय शुभ रहेगा.

कब मनाई जाएगी शीतला अस्टमी
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी तिथि 22 मार्च की सुबह 04 बजकर 23 मिनट पर शुरू हो रही है और 23 मार्च को सुबह के 05 बजकर 23 मिनट पर तिथि का समापन हो रहा है. पंचांग के अनुसार 22 मार्च को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाएगा.

जरूर करें ये उपाय
– मान्यतानुसार शीतला माता पर पूजा के दौरान लाल रंग की वस्तुएं अर्पित करना शुभ माना जाता है. लाल फूल, श्रृंगार की सामग्री और लाल वस्तुएं माता के समक्ष रखने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

– शीतला माता की पूजा के पश्चात गौमाता को संतान के नाम का प्रसाद खिलाया जा सकता है. इससे संतान को शीतला माता का आशीर्वाद मिलता है.

– बसौड़ा के दिन संतान की खुशहाली के लिए “शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता. शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः.” मंत्र का 21 बार जाप करना शुभ होता है.

शीतला अस्टमी व्रत का महत्व
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. आनंद भारद्वाज ने को बताया कि यह व्रत बच्चों की बीमारियों से रक्षा करने के लिए माताएं रहती हैं, जो महिला इस व्रत को करती हैं, उसे एक दिन पहले ही रात में नहाकर, पवित्र होकर मां शीतला के लिए भोग तैयार करना होता है, जिसमें कढ़ी-चावल, पकौड़ी, बरा, पूड़ी जैसी चीजें शामिल होती हैं. सुबह उठकर महिलाएं माता के मंदिर पहुंचती हैं और वहां पूजा अर्चना करती हैं. शहर के देवी मंदिरों में शीतला अस्टमी पर दिन भर श्रद्धांलुओं की भीड़ देखने को मिलती है.

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