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Shiv Mandir: काल सर्प दोष से परेशान? गोंडा के इस शिव मंदिर में कराएं अखंड पाठ और ये खास अभिषेक…पाएं मुक्ति

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Prithvinath Shiv Mandir Gonda: गोंडा स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भक्त सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए दूर-दूर से आते हैं. यहां अखंड शिव पाठ और रुद्राभिषेक करवा कर न केवल सर्प दोष दूर होता है, बल्कि जीवन में बाधाएं और भय भी समाप्त होते हैं. मंदिर का ऐतिहासिक महत्व पांडवों के अज्ञातवास से जुड़ा हुआ है. जानिए कहा है ये पवित्र स्थान.

गोंडा: उत्तर प्रदेश में गोंडा जिले के अजीबोगरीब रहस्यों और आस्था से जुड़े स्थल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इन्हीं में से एक है पृथ्वीनाथ शिव मंदिर, जो जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर उन लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है जिन्हें बार-बार सर्प दिखाई देते हैं या ज्योतिष के अनुसार उनके जीवन में सर्प दोष है. माना जाता है कि यहां आकर भक्त अपनी श्रद्धा और पूजा से इस दोष को दूर कर सकते हैं.

सर्प दोष से मुक्ति के उपाय
पृथ्वीनाथ मंदिर के महंत जगदंबा प्रसाद तिवारी ने Bharat.one से बातचीत में बताया कि इस मंदिर में अखंड शिव पाठ या रुद्राभिषेक करवाने से सर्प दोष दूर हो जाता है. जिन लोगों को बार-बार सर्प काटते हैं, उनके लिए भी यही उपाय कारगर माना जाता है. भक्त भगवान शिव की पूजा श्रद्धा के साथ करते हैं और नाग-नागिन को दूध चढ़ाकर क्षमा प्रार्थना करते हैं. ऐसा करने से जीवन में आ रही बाधाएं और भय समाप्त हो जाते हैं.

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
महंत जगदंबा प्रसाद तिवारी ने बताया कि पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर बहुत प्राचीन है और इसका संबंध पांडवों के अज्ञातवास काल से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडु के पुत्र महाबली भीम ने यहां भगवान शिव की स्थापना की थी. तभी से यह स्थल आस्था का केंद्र बन गया है.

जलाभिषेक और सावन माह का महत्व
मंदिर में जलाभिषेक का विशेष महत्व है. यहां स्थापित शिवलिंग इतनी ऊंचाई पर है कि एड़ी उठाकर ही जलाभिषेक किया जा सकता है. सावन मास भगवान भोलेनाथ का महीना माना गया है, इसलिए इस माह में पड़ने वाले सोमवार और शुक्रवार को विशेष पूजन करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
मंदिर के पुजारी जगदंबा प्रसाद तिवारी ने बताया कि पांच पांडव मां कुंती के साथ अज्ञातवास में यहीं रहकर अपना जीवन-यापन करने लगे थे. इसी स्थान पर भीम ने बकासुर नामक राक्षस का वध किया था. ब्रह्महत्या का पाप लगने के बाद मोक्ष पाने के लिए भगवान श्री कृष्ण के आदेशानुसार लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व द्वापर युग में भीम ने इस शिवलिंग की स्थापना की. उस समय इस मंदिर का नाम भीमेश्वर महादेव था, जिसे बाद में पृथ्वीनाथ मंदिर के नाम से जाना गया.

Seema Nath

सीमा नाथ पांच साल से मीडिया के क्षेत्र में काम कर रही हैं. मैने शाह टाइम्स, उत्तरांचल दीप, न्यूज अपडेट भारत के साथ ही Bharat.one ( नेटवर्क 18) में काम किया है. वर्तमान में मैं News 18 (नेटवर्क 18) के साथ जुड़ी हूं…और पढ़ें

सीमा नाथ पांच साल से मीडिया के क्षेत्र में काम कर रही हैं. मैने शाह टाइम्स, उत्तरांचल दीप, न्यूज अपडेट भारत के साथ ही Bharat.one ( नेटवर्क 18) में काम किया है. वर्तमान में मैं News 18 (नेटवर्क 18) के साथ जुड़ी हूं… और पढ़ें

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काल सर्प दोष से परेशान? इस शिव मंदिर में कराएं अखंड पाठ और ये खास अभिषेक

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