South West Entrance : हर घर का अपना एक माहौल होता है, जो वहां के लोगों के स्वभाव, सोच और जीवनशैली को प्रभावित करता है. कहा जाता है कि घर सिर्फ ईंट और पत्थर से नहीं, बल्कि उसकी दिशा, ऊर्जा और माहौल से बनता है. वास्तुशास्त्र इसी ऊर्जा को संतुलित करने का एक पुराना भारतीय तरीका है. इसमें घर की हर दिशा का अपना अलग अर्थ और प्रभाव माना गया है. इन्हीं दिशाओं में दक्षिण-पश्चिम दिशा को बहुत खास माना गया है. यह दिशा घर में स्थिरता, मजबूती और सुरक्षा का प्रतीक होती है. इसे भूमि तत्व से जुड़ा माना जाता है, जो ठहराव और भरोसे का संकेत देता है. इस दिशा का सीधा संबंध घर के मुखिया या सबसे वरिष्ठ सदस्य से होता है. अगर यह दिशा सही ढंग से उपयोग की जाए, तो परिवार में एकजुटता, सम्मान और धन की वृद्धि होती है. लेकिन अगर इस दिशा का प्रयोग गलत तरीके से हो जाए, जैसे कि मुख्य द्वार यहीं हो, तो कई बार जीवन में असंतुलन, आर्थिक परेशानी या मानसिक तनाव देखने को मिल सकता है. अब आइए समझते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह कि दक्षिण-पश्चिम दिशा से प्रवेश द्वार होने के क्या प्रभाव होते हैं और किन उपायों से इनका असर कम किया जा सकता है.
वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा को स्थिरता और नियंत्रण का प्रतीक माना गया है. यह दिशा घर की नींव की तरह होती है, जो पूरे परिवार को एक साथ जोड़े रखती है. इस दिशा में भारी और मजबूत चीजें रखना शुभ होता है, जैसे अलमारी, तिजोरी या घर के मुखिया का कमरा. इससे घर की ऊर्जा संतुलित रहती है और परिवार में एक विश्वास का माहौल बनता है.

दक्षिण-पश्चिम दिशा वास्तु उपाय
इस दिशा की सकारात्मकता तभी बनी रहती है जब इसका उपयोग वास्तु के नियमों के अनुसार किया जाए. अगर यह दिशा हल्की या खाली छोड़ दी जाए तो घर की ऊर्जा असंतुलित हो सकती है. इसके अलावा, यह दिशा सफलता और प्रतिष्ठा से भी जुड़ी है. इसलिए घर का मुखिया अगर इस दिशा में रहता है, तो उसकी सोच में स्थिरता और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है.
दक्षिण-पश्चिम दिशा से प्रवेश के प्रभाव
अगर घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पश्चिम दिशा में हो, तो वास्तुशास्त्र के अनुसार यह स्थिति थोड़ी चुनौतीपूर्ण मानी जाती है. इस दिशा से आने वाली ऊर्जा बहुत तेज और भारी होती है, जो हर किसी के लिए संतुलित रहना आसान नहीं होता.
ऐसे घरों में कई बार निम्न प्रभाव देखे जा सकते हैं:
1. घर के लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है.
2. आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
3. परिवार के सदस्यों में मतभेद और तनाव बढ़ने की संभावना रहती है.
4. घर के मुखिया के करियर या समाज में प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है.
हालांकि यह जरूरी नहीं कि ये नतीजे हर घर में एक जैसे हों. घर का आकार, अन्य दिशाओं का संतुलन और वास्तु उपायों का पालन इस पर काफी हद तक असर डालते हैं. कई बार सही दिशा में कुछ छोटे बदलाव करके इन नकारात्मक प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
दक्षिण-पश्चिम दिशा वास्तु उपाय
सुधार और उपाय
अगर आपके घर का प्रवेश द्वार दक्षिण-पश्चिम दिशा में है, तो चिंता की बात नहीं है. कुछ आसान वास्तु उपाय अपनाकर आप इस दिशा की ऊर्जा को बेहतर बना सकते हैं.
-द्वार को हमेशा मजबूत और भारी रखें, ताकि ऊर्जा स्थिर बनी रहे.
-दरवाजे के पास गोल्डन रंग की घंटी या कोई शुभ प्रतीक लगाएँ.
-घर के मुख्य सदस्य का कमरा ऊँचे स्थान पर रखें.
-प्रवेश के पास शंख, नारियल या नमक वाला जल रखने से नकारात्मक ऊर्जा कम होती है.
-नियमित रूप से घर में धूप या कपूर जलाने से वातावरण शुद्ध और सकारात्मक रहता है.
इन छोटे उपायों से दक्षिण-पश्चिम दिशा के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है और घर में स्थिरता और शांति बनाए रखी जा सकती है.