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Jodhpur News: शनि अमावस्या के अवसर पर जोधपुर में वैसे तो कई आयोजन किए गए लेकिन एक अनूठा आयोजन आकर्षण का केंद्र बन गया. यहां शनिधाम पर 11 हजार लीटर तेलाभिषेक ओर 1100 गोटों से महाआरती की गई जोधपुर के शास्त्रीनगर …और पढ़ें
जोधपुर के शास्त्रीनगर स्थित दक्षिणामुखी शनि धाम मंदिर
शनि अमावस्या के अवसर पर जोधपुर में वैसे तो कई आयोजन किए गए लेकिन एक अनूठा आयोजन आकर्षण का केंद्र बन गया. यहां शनिधाम पर 11 हजार लीटर तेलाभिषेक ओर 1100 गोटों से महाआरती की गई जोधपुर के शास्त्रीनगर स्थित दक्षिणामुखी शनि धाम मंदिर में बड़ी संख्या में धर्मालु आए. इस मंदिर के महंत पंडित हेमंत बोहरा ने बताया कि शनि अमावस्या पर शनिदेव की आराधना करने से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यह अमावस्या पितृकार्येषु के रूप में भी जानी जाती है.
यह समय कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. शनि धाम, ए सेक्टर, शास्त्री नगर जोधपुर के महंत श्रीमाली पंडित हेमंत बोहरा ने बताया कि शनि अमावस्या को ज्येष्ठ मास में भगवान शनि देव का जन्म हुआ था. इसलिए जब भी शनिवार को अमावस्या आती है? उसे शनि अमावस्या कहते हैं और शनि देव के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है. इस दिन शनि देव अति प्रसन्न रहते हैं.
11 हजार लीटर तेल से शनि तेलाभिषेक और 1100 गोटों से महाआरती
शनि ढैय्या साढ़े साती और शनि महादशा के विपरित प्रभावों से पीड़ित जातकों के लिए यह दिन मृत संजीवनी के समान है. इस दिन पूजन अर्चन करने, शनि जाप शनि चालीसा पाठ करने और तेलाभिषेक करने से समस्त कष्टों से मुक्ति होकर मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. शनि धाम शास्त्री गर जोधपुर दक्षिण मुखी शिंगणापुर सिद्ध शनि धाम महाराष्ट्र के पश्चात् भारत का दूसरा और राजस्थान का पहला दक्षिण मुखी शनि स्थान है. जहां शनि देव और हनुमान जी दक्षिण मुख में पीपलेश्वर महादेव के साथ विराजमान हैं। दक्षिण मुखी शनि हनुमान शीघ्र फलदायक होते हैं. पंडित हेमंत श्रीमाली ने बताया कि शनि अमावस्या को 30 वर्षों बाद शनि देव मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं इससे पांच राशियों वृषभ मिथुन कन्या धनु और कुंभराशियों के किस्मत के ताले खुलेंगे. वहीं दो राशियों कर्क और वृश्चिक को शनि ढैय्या से मुक्ति मिलेगी.
वैदिक मंत्रोच्चार से शनि आशीर्वाद का हुआ वितरण
सुबह सात बजे ध्वजारोहण हुआ। सुबह दस बजे से शनि सहस्त्र नाम, दशरथ कृत शनि स्तोत्र, शनि चालीसा पाठ किया गया। दोपहर 12 बजे शनि जन्म महाआरती हुई. सभी देवताओं का जन्म दोपहर 12 बजे ही हुआ है. यह अमृत अभिजीत समय है.पंडित हेमंत बोहरा ने बताया कि 11 हजार लीटर तेल से दोपहर 1 बजे से मुख्य मूर्ति पर वेदज्ञ पंडित नक्षत्र ओझा और पंडित आशिषदवे के वैदिक मंत्रोच्चार से सामूहिक महातेलाभिषेक किया गया. दोपहर चार बजे अभिषेक पश्चात् शनि हनुमान महापूजन और शाम 6 बजे से विशेष श्रृंगार दर्शन किया गया. शाम 8 बजे 1100 गोटों से शनि महाआरती हुई. आरती के पश्चात् महाप्रसाद का वितरण हुआ. महंत पंडित हेमंत बोहरा ने बताया कि शनि अमावस्या के पावन अवसर पर शनि धाम में शाम महाआरती के ओर शनि आशीर्वाद से भरपूर 5100 पांच हजार एक सौ शनि मुद्रिकाएं और 21 हजार शनि रक्षा कवचों का निःशुल्क वितरण किया गया.