Surya Grahan 2025 : सूर्य ग्रहण एक ऐसा पल होता है, जब चंद्रमा धरती और सूरज के बीच आ जाता है और कुछ समय के लिए सूरज की रौशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती. यह एक खगोलीय घटना है, जिसे देखने वाले लोग कभी हैरान होते हैं, तो कभी उसे धार्मिक नजरिए से देखते हैं. इस लेख में हम जानेंगे कि इसका असर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों पर कैसे पड़ता है और भारत जैसे देशों में इसका क्या महत्व होता है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
चंद्रमा की छाया और सूरज की रौशनी में कमी
जब सूर्य ग्रहण होता है, तो चंद्रमा अपनी सीधी रेखा में आते हुए सूरज को ढक लेता है. इससे धरती पर उसकी छाया गिरती है. इस दौरान कुछ जगहों पर दिन में ही अंधेरा सा छा जाता है. यह छाया पूरी तरह से या आंशिक रूप से पड़ सकती है, जिससे सूरज की रौशनी कम हो जाती है.
धरती, सूरज और चंद्रमा की चाल
ग्रहण का होना इन तीनों पिंडों की एक विशेष स्थिति के कारण होता है. जब चंद्रमा, सूरज और धरती एक सीधी लाइन में आ जाते हैं, तभी यह नज़ारा बनता है. यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसे खगोलशास्त्र के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है.
ग्रहण का होना इन तीनों पिंडों की एक विशेष स्थिति के कारण होता है. जब चंद्रमा, सूरज और धरती एक सीधी लाइन में आ जाते हैं, तभी यह नज़ारा बनता है. यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसे खगोलशास्त्र के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है.
ग्रहण का यह प्रभाव पूरी धरती पर एक जैसा नहीं होता. कुछ हिस्सों में यह साफ दिखाई देता है, जबकि कुछ जगहों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता.
धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं
भारत में अगर किसी दिन सूर्य ग्रहण होता है लेकिन वह यहां से नहीं दिखाई देता, तो आमतौर पर लोग उसे नजरअंदाज कर देते हैं. मंदिर खुले रहते हैं, और कोई विशेष नियम नहीं अपनाए जाते. इसका कारण यह है कि धार्मिक तौर पर ग्रहण का असर वहीं माना जाता है, जहां से वह दिखाई देता है.
भारत में अगर किसी दिन सूर्य ग्रहण होता है लेकिन वह यहां से नहीं दिखाई देता, तो आमतौर पर लोग उसे नजरअंदाज कर देते हैं. मंदिर खुले रहते हैं, और कोई विशेष नियम नहीं अपनाए जाते. इसका कारण यह है कि धार्मिक तौर पर ग्रहण का असर वहीं माना जाता है, जहां से वह दिखाई देता है.
दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में, जहां से ग्रहण पूरी तरह या आंशिक रूप से दिखाई देता है, वहां के लोग इसे गंभीरता से लेते हैं. कुछ लोग धार्मिक नियमों का पालन करते हैं, जैसे भोजन न करना, पूजा-पाठ करना या घर के अंदर ही रहना.
क्या सावधानियां जरूरी हैं?
ग्रहण के दौरान सूरज को सीधे आंखों से देखना नुकसानदायक हो सकता है. इससे आंखों को स्थायी नुकसान हो सकता है. इसलिए वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि विशेष चश्मे या उपकरणों का उपयोग किया जाए.