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Toilet in Ishan corner effects। उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय से गर्भवती महिला पर वास्तु दोष का असर

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North East Toilet Vastu: हर घर में दिशा और ऊर्जा का बहुत गहरा रिश्ता होता है. हमारे बड़े-बुजुर्ग हमेशा कहते आए हैं कि अगर घर की दिशा गलत हो जाए, तो उसका असर न सिर्फ रहने वालों पर बल्कि आने वाली पीढ़ी पर भी पड़ता है. खासकर जब बात उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) की आती है, तो इसे बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है. यही वो कोना है जहां से घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है. इसी वजह से पुराने समय में लोग इस दिशा में पूजा घर या ध्यान स्थल बनाते थे. लेकिन आजकल शहरी घरों में जगह की कमी के चलते अक्सर शौचालय या बाथरूम इसी दिशा में बना दिए जाते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार ये बहुत बड़ा दोष माना जाता है, क्योंकि शौचालय से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा घर के बाकी हिस्सों में फैल सकती है, अगर घर में कोई महिला गर्भवती है, तो कहा जाता है कि इस दिशा में बने टॉयलेट का असर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकता है.

अब सवाल ये है – आखिर ये असर क्या होता है? और अगर शौचालय पहले से बना हुआ है तो उसका हल कैसे निकाला जाए? आइए विस्तार से समझते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह से.

उत्तर-पूर्व दिशा का महत्व
वास्तु शास्त्र में उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा गया है. यह भगवान शिव की दिशा मानी जाती है और इसे सबसे पवित्र स्थान कहा गया है. यहां से आने वाली प्राकृतिक रोशनी और हवा घर के माहौल को संतुलित रखती है. इस कोने की शुद्धता पूरे घर की ऊर्जा पर असर डालती है. अगर इस दिशा में टॉयलेट या गंदगी हो, तो माना जाता है कि ईशान कोण की सकारात्मक ऊर्जा कमजोर पड़ जाती है, जिससे घर में शांति और स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.

गर्भ में पल रहे बच्चे पर संभावित असर
वास्तु मान्यताओं के अनुसार, अगर घर के उत्तर-पूर्व कोने में शौचालय बना है, तो यह गर्भवती महिला और शिशु दोनों पर असर डाल सकता है. कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार माने जाते हैं:

1. शारीरिक कमजोरी: माना जाता है कि ऐसे माहौल में पलने वाले गर्भ में बच्चे की शारीरिक वृद्धि थोड़ी धीमी हो सकती है.
2. मानसिक अस्थिरता: नकारात्मक ऊर्जा के कारण गर्भवती महिला को तनाव या चिंता बढ़ सकती है, जो बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करती है.
3. गर्भधारण में कठिनाई: कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ईशान कोण में शौचालय होना गर्भधारण में रुकावट भी पैदा कर सकता है.
4. संतान का स्वभाव: यह भी कहा जाता है कि ऐसे घरों में जन्म लेने वाले बच्चे थोड़े चिड़चिड़े या भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकते हैं.

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क्या कहता है आधुनिक दृष्टिकोण?
-अब अगर बात करें विज्ञान की, तो डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के अनुसार बच्चे का विकास पूरी तरह मां के खान-पान, सेहत और मानसिक शांति पर निर्भर करता है, न कि घर की दिशा पर.
-लेकिन अगर कोई महिला लगातार असहज या चिंतित रहती है, तो वो तनाव गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकता है. इसलिए अगर किसी को वास्तु दोष का डर या असुविधा महसूस होती है, तो उपाय करना मानसिक रूप से सुकून देता है – और ये भी जरूरी है.

वास्तु के आसान उपाय
-अगर आपके घर में उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय बना हुआ है और उसे तोड़ना या शिफ्ट करना संभव नहीं है, तो कुछ आसान उपाय मदद कर सकते हैं:

1. शौचालय का दरवाज़ा हमेशा बंद रखें.
2. रोज़ सुबह उसे साफ रखें और हल्का सुगंधित धूप जलाएं.
3. टॉयलेट की दीवार पर छोटा दर्पण या हरे रंग का पर्दा लगाएं.
4. ईशान कोण के पास तुलसी या पीपल का पौधा रखे.
5. समय-समय पर उस दिशा में गंगाजल या नमक वाला पानी छिड़कें, ताकि नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो सके.
6. अगर संभव हो तो घर के किसी और हिस्से में छोटा पूजा स्थल बनाएं, जिससे पॉजिटिव एनर्जी बढ़े.

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