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Utpanna Ekadashi Kab Hai 2025 muhurat parana samay | Utpanna Ekadashi 2025 date shubh muhurat parana time | margashirsha krishna ekadashi kab hai 2025 mein | उत्पन्ना एकादशी कब है? जानें तारीख, मुहूर्त, पारण समय और महत्व

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Utpanna Ekadashi Kab Hai 2025 Date: मार्गशीर्ष माह की पहली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. इस दिन व्रत रखकर माता एकादशी और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. इस दिन देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी. य​ह नवंबर की दूसरी एकादशी है. ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बता रहे हैं कि उत्पन्ना एकादशी कब है? उत्पन्ना एकादशी का मुहूर्त, पारण समय और महत्व क्या है?

Utpanna Ekadashi Kab Hai 2025: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानते हैं. यह एकादशी नवंबर या दिसंबर में आती है. उत्पन्ना एकादशी के अवसर पर माता एकादशी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. उनकी कृपा से पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. उत्पन्ना एकादशी व्रत नवंबर की दूसरी एकादशी है. इस बार उत्पन्ना एकादशी कब है? उत्पन्ना एकादशी पूजा का मुहूर्त और पारण समय क्या है? उत्पन्ना एकादशी का महत्व क्या है? इनसब के बारे में बता रहे हैं तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव.

उत्पन्ना एकादशी की तारीख

पंचांग के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी के लिए मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ 15 नवंबर को 12:49 ए एम पर होने वाला है. यह तिथि 16 नवंबर को 02:37 ए एम तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर दिन शनिवार को रखा जाएगा.

उत्पन्ना एकादशी मुहूर्त

जो लोग उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखेंगे, वे उस दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा शुभ-उत्तम मुहूर्त 08:04 ए एम से 09:25 ए एम में कर सकते हैं. यह समय एकादशी पूजा के लिए अच्छा है.

उत्पन्ना एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:58 ए एम से लेकर 05:51 ए एम तक है. उस दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक है.

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और विष्कंभ योग में उत्पन्ना एकादशी

इस साल उत्पन्ना एकादशी के दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र है, जो प्रात:काल से लेकर रा​त्रि 11:34 पीएम तक है, उसके बाद से हस्त नक्षत्र है. वहीं एकादशी के दिन विष्कंभ योग प्रात:काल से लेकर पूर्ण रात्रि तक है.

उत्पन्ना एकादशी पारण समय

उत्पन्ना एकादशी व्रत के पारण का समय 16 नवंबर दिन रविवार को दोपहर में 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 18 मिनट के बीच है. उस दिन हरि वासर का समापन दिन में 9 बजकर 9 मिनट पर होना है. जो लोग एकादशी व्रत रखते हैं, उनको हरि वासर के समापन के बाद ही पारण करना होता है.

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

  1. उत्पन्ना एकादशी के दिन ही देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी, इस वजह से इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानते हैं.
  2. उत्पन्ना एकादशी का व्रत और पूजन करने से भगवान विष्णु और एकादशी माता की कृपा प्राप्त होती है. पाप से मुक्ति मिलती है.
  3. एकादशी व्रत करने वालों को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. श्रीहरि के श्रीचरणों में स्थान मिलता है.

कार्तिकेय तिवारी

कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक…और पढ़ें

कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक… और पढ़ें

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उत्पन्ना एकादशी कब है? जानें तारीख, मुहूर्त, पारण समय और महत्व

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