Wedding Card Vastu: शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं होती, बल्कि दो परिवारों का एक खूबसूरत बंधन होती है. इस दिन से एक नया जीवन शुरू होता है और इसी वजह से भारतीय संस्कृति में शादी को बहुत शुभ माना गया है. हर छोटी-बड़ी चीज़ का ध्यान इसीलिए रखा जाता है ताकि किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा पास न आए. लोग शुभ मुहूर्त निकलवाते हैं, पूजा करते हैं, ग्रह-नक्षत्र देखते हैंसब इसलिए ताकि शादी में खुशियां और बरकत बनी रहे. पर क्या आप जानते हैं कि शादी का कार्ड यानी वेडिंग कार्ड भी वास्तु के हिसाब से बहुत मायने रखता है? ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अगर कार्ड बनवाते समय कुछ खास बातों का ध्यान न रखा जाए तो शादी के समय अड़चनें आ सकती हैं. क्योंकि कार्ड सिर्फ निमंत्रण नहीं होता, बल्कि यह शादी की पहली झलक होता है. वास्तु के अनुसार सही रंग, आकार और डिजाइन वाला कार्ड न सिर्फ शुभ फल देता है बल्कि घर में सकारात्मकता भी बढ़ाता है. तो आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से शादी का कार्ड बनवाते समय किन वास्तु नियमों को ध्यान में रखना चाहिए ताकि आपके जीवन का ये खास दिन हर तरह से मंगलमय हो.
कैसा होना चाहिए शादी का कार्ड?
वास्तु शास्त्र के मुताबिक शादी के कार्ड पर सबसे पहले भगवान श्री गणेश को अर्पित किया जाता है. माना जाता है कि हर शुभ काम की शुरुआत गणेश जी के आशीर्वाद से होनी चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कार्ड पर भगवान गणेश की फोटो नहीं बनवानी चाहिए. वजह ये है कि शादी के बाद ज़्यादातर लोग कार्ड को फेंक देते हैं या पेड़ के नीचे रख देते हैं, जिससे फोटो का अपमान होता है, अगर आप गणेश जी का आशीर्वाद चाहते हैं तो बस उनके नाम या छोटे से प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल कर सकते हैं.
कार्ड का आकार और डिजाइन
शादी के कार्ड का आकार बहुत मायने रखता है. त्रिकोण या पत्ते के आकार वाले कार्ड से बचना चाहिए, क्योंकि ये नकारात्मकता को बढ़ाते हैं. वास्तु शास्त्र में चौकोर आकार का कार्ड सबसे शुभ माना गया है. कहा जाता है कि चौकोर कार्ड के चार कोनों में सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है. यही कारण है कि पुराने समय में भी अधिकतर वेडिंग कार्ड चौकोर ही बनाए जाते थे.
इसके अलावा कार्ड पर दूल्हा-दुल्हन की फोटो लगाना भी गलत माना गया है. इससे नजर दोष का खतरा बढ़ जाता है और शादी से पहले ही जोड़े की किस्मत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए.

कार्ड का रंग और कागज़ की खुशबू
वास्तु के अनुसार, शादी के कार्ड का रंग भी बहुत मायने रखता है. काला या भूरा रंग नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है, इसलिए इन रंगों से दूर रहना चाहिए. सबसे शुभ रंग होते हैं पीला और लाल.
पीला रंग भगवान विष्णु का प्रतीक है, जो सौभाग्य और खुशियों को बढ़ाता है. वहीं लाल रंग ऊर्जा और प्रेम का प्रतीक है, जो शादी के लिए शुभ माना गया है.
सुगंधित कागज़ का इस्तेमाल करना भी शुभ माना जाता है. वेडिंग कार्ड में हल्की-सी खुशबू डालने से सकारात्मकता बढ़ती है और यह कार्ड हाथ में आते ही एक अच्छा अहसास देता है.
कार्ड किसे और कैसे देना चाहिए
वास्तु शास्त्र के अनुसार, शादी का कार्ड सबसे पहले भगवान गणेश या किसी मंदिर में अर्पित करना चाहिए. उसके बाद ही बाकी लोगों को भेजना शुभ माना जाता है. इससे शादी के काम बिना किसी रुकावट के पूरे होते हैं.
कार्ड देते समय हमेशा मुस्कुराकर और शुभकामना के साथ देना चाहिए, क्योंकि आपकी ऊर्जा भी कार्ड के साथ जाती है.