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Wedding Invitation: इनको देना न भूले शादी का निमंत्रण, नहीं तो हो सकती है बड़ी अनहोनी, जानें परंपरा और धार्मिक मान्यता

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Wedding Invitation: अगर आपके परिवार में भी किसी की शादी होने वाली है, तो आपको उसे निर्विघ्न संपन्न करवाने के लिए कुछ खास निमंत्रण सबसे पहले देने चाहिए. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज के मुताबिक, शादी तय होने के बाद छपने वाले निमंत्रण पत्र सबसे पहले खास लोगों को देने चाहिए. (रिपोर्ट:शुभम/उज्जैन)

हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत में सबसे पहले निमंत्रण देने का महत्व है. उन्हीं में से एक विवाह किसी भी व्यक्ति के जीवन का यादगार लम्हा होता है. वो इसके लिए कई स्तर पर तैयारियां करते हैं.

इसके लिए शानदार डिजाइन वाले निमंत्रण पत्र भी छपवाए जाते हैं. हर किसी की चाहत होती है कि उसका विवाह निर्विघ्न संपन्न हो जाए लेकिन ऐसा सभी के साथ हो, यह हमेशा संभव नहीं होता. कई बार कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, जो विवाह में विघ्न पैदा करती हैं.

अगर आपके परिवार में भी किसी की शादी होने वाली है, तो आपको उसे निर्विघ्न संपन्न करवाने के लिए कुछ खास निमंत्रण सबसे पहले देने चाहिए. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज के मुताबिक, शादी तय होने के बाद छपने वाले निमंत्रण पत्र सबसे पहले खास लोगों को देने चाहिए. इसके बाद उन कार्ड को नाते-रिश्तेदारों में बांटना चाहिए.

रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश को मंगलकारी देवता माना गया है. विवाह के दौरान सबसे पहला निमंत्रण विघ्नहर्ता भगवान गणेश को दिया जाता है ताकि विवाह में कोई विघ्न न आए. विवाह के निमंत्रण पत्र छपने के बाद सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष निमंत्रण पत्र अर्पित किया जाता है.

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी- विवाह का दूसरा निमंत्रण जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को दिया जाता है क्योंकि विवाह जैसा कोई भी मांगलिक आयोजन इनके बिना पूर्ण नहीं होता है.

हनुमान जी- विवाह का तीसरा निमंत्रण हनुमान जी को दिया जाता है ताकि वैवाहिक आयोजन में किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव न पड़े और हर तरह की बुरी शक्तियों से बचाव होता रहे.

कुलदेवी/कुलदेवता- विवाह का चौथा निमंत्रण परिवार के कुलदेवी या कुलदेवता को दिया जाना चाहिए. न्योता देने के साथ ही उनसे प्रार्थना की जाती है कि वैवाहिक आयोजन में उनका आशीर्वाद बना रहे.

पितृ- घर में किसी भी शुभ कार्य में पितरों का आशीर्वाद बेहद जरूरी होता है, इसलिए पांचवां निमंत्रण पितरों को दिया जाता है. पितरों के आशीर्वाद के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं होता, इसलिए पितरों को निमंत्रण देने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे शादी का कार्ड रखना चाहिए.

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