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Why is the tradition of applying vermillion till the nose special during Chhath Puja…what are the religious, cultural and scientific reasons? – Haryana News

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Faridabad latest News: छठ पूजा का नायाब रूप…नाक तक सिंदूर सिर्फ सुहाग का प्रतीक नहीं बल्कि ऊर्जा, स्वास्थ्य और सकारात्मक भावनाओं का संगम है. त्रेता युग से चली आ रही यह परंपरा पति की लंबी उम्र, परिवार की समृद्धि और आत्मबल का संदेश देती है.

छठ पूजा न केवल सूर्य उपासना का पर्व है, बल्कि यह भारतीय परंपराओं की सुंदर झलक भी दिखाता है. इस दिन महिलाएं पूरे श्रृंगार में सजती हैं और नाक तक सिंदूर लगाना उनकी पहचान बन जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं, इस सिंदूर के पीछे गहरी धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक मान्यता छिपी है?

छठ पूजा सूर्य देव और छठी माता की आराधना का चार दिवसीय पर्व है. बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह बड़े उत्साह से मनाया जाता है. महिलाएं इस दौरान कठोर व्रत रखती हैं, जल में खड़े होकर अर्घ्य देती हैं और पूरे श्रृंगार में सजकर पूजा करती हैं.

भारतीय संस्कृति में सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है. विवाहित महिलाएं इसे अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए लगाती हैं. छठ पूजा के दौरान नाक तक सिंदूर लगाना इस आस्था को और गहराई देता है.

महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य के अनुसार यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है. माता सीता ने भगवान राम के साथ छठ पूजा की थी और उस समय भी उन्होंने नाक तक सिंदूर लगाया था. तभी से यह प्रथा आस्था का प्रतीक बन गई.

सिंदूर का नारंगी या लाल रंग सूर्य का प्रतीक माना जाता है. नाक तक सिंदूर लगाने का अर्थ है कि जब सूर्य की किरणें चेहरे पर पड़ें, तो वे सिंदूर से परावर्तित होकर ऊर्जा दें. यह पति की दीर्घायु और परिवार की समृद्धि का प्रतीक है.

धार्मिक कथाओं के अनुसार, जब हनुमान जी ने सुना कि माता सीता अपने पति की लंबी आयु के लिए सिंदूर लगाती हैं, तो उन्होंने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाया. तभी से भक्त हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाते हैं, जिससे दुखों से मुक्ति और शक्ति प्राप्त होती है.

लाल रंग को शक्ति, प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है. व्रत के दौरान यह रंग महिलाओं को आत्मबल देता है और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है. यह मन को उत्साहित और आत्मविश्वास से भर देता है.

सिंदूर हल्दी और पारे से बनता है जिनमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसे नाक तक लगाने से साइनस की परेशानी कम होती है और सांस लेने में राहत मिलती है. यह रक्त को शुद्ध करता है और शरीर में ऊर्जा बनाए रखता है.

नाक तक सिंदूर लगाने की यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक और भावनात्मक महत्व भी रखती है. यह आस्था, स्वास्थ्य और प्रेम का संगम है. यही वजह है कि आज भी हर छठ पर्व पर यह परंपरा महिलाओं के श्रृंगार का सबसे खास हिस्सा होती है.

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छठ पूजा में महिलाएं नाक से लेकर मांग तक क्यों लगाती हैं सिंदूर, जानिए महत्व

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