Home Food अवध से निजाम तक! कमाल है हैदराबादी पोटली मसाला, 30 से अधिक...

अवध से निजाम तक! कमाल है हैदराबादी पोटली मसाला, 30 से अधिक मसालों का अनोखा मिश्रण, व्यंजनों के बनाता है लाजवाब

0


हैदराबाद. दक्षिण भारतीय पाक संस्कृति की शान केवल उसके स्वाद में नहीं बल्कि उसके इतिहास के सुनहरे पन्नों में भी बसी है और इसकी रूह बनते हैं हैदराबाद के मसाले. चाहे दम बिरयानी में जाफरान की मदहोश कर देने वाली खुशबू हो या खोरमे में इलायची की सुकून भरी गर्माहट, ये मसाले ही हैदराबाद की पाक पहचान का आधार है. इसी विरासत का एक अनमोल रत्न है पोटली का मसाला. हैदराबाद की किसी भी पारंपरिक मसाला दुकान में नजर दौड़ाएं तो आपकी आंखें मलमल के छोटे-छोटे बंडलों पर जरूर ठहर जाएगी.

पोटली के मसाले की उत्पत्ति का इतिहास रोचक है. कई इतिहासकार इसकी जड़ें अवध की शाही रसोई से जोड़ते हैं, जहां लज्जत-ए-ताम नामक एक ऐसी ही मसाला थैली का इस्तेमाल होता था. इस अवधी मिश्रण को मलमल में बांधकर ग्रेवी में डाला जाता था जो खाने को गुलाब, खसखस और केवड़े जैसी सुगंधों से महका देता था. यही लखनऊ के शाही खाने की पहचान थी.

इन सामाग्रियों से तैयार होता है पोटली का मसाला

हैदराबाद में निजामों के शासनकाल के दौरान इस तकनीक ने एक नया और अनूठा रूप लिया. यह साधारण सा पाउच एक ऐसे मसाले में बदल गया जो पूरी तरह से हैदराबादी था. इस संस्करण में स्थानीय और सुगंधित सामग्रियां शामिल थीं, जैसे पान की जड़, खस की जड़, फट्टर का फूल और चंदन का पाउडर. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मिश्रण दुनिया में और कहीं नहीं मिलता. पोटली का मसाला बनाने की सही विधि आमतौर पर एक पारिवारिक रहस्य बनी रहती है. इसमें लगभग 30 से 32 सामग्रिया शामिल होती है. जिसमें मुख्य मसाले धनिया, जीरा, शाहजीरा, सौंफ, काली मिर्च एवं सुगंधित मसाले में लौंग, दालचीनी, इलायची, तेजपत्ता, जावित्री, जायफल, कबाब चीनी शामिल है. इसके अलावा विशेष सुगंधक के तौर पर खसखस, फट्टर का फूल, चक्र फूल, सूखे गुलाब की पंखुड़ियां और पान की जड़, खस की जड़, सूखा अदरक, चंदन पाउडर, जराकुश शामिल रहता है.

व्यंजन में जान फूंक देता है यह मसाला

पोटली का मसाला मुख्य रूप से हैदराबादी निहारी, पाया और हलीम जैसे व्यंजनों से जुड़ा है, जहां इसकी हल्की सुगंध लंबे समय तक पकते मांस और ग्रेवी को एक अद्भुत गहराई प्रदान करती है. इसे प्रयोग करने का तरीका भी खास है. खाना पकाने की शुरुआत में ही इस पोटली को बर्तन में डाल दिया जाता है और धीमी आंच पर पकने दिया जाता है ताकि उसका पूरा स्वाद और सुगंध व्यंजन में समा जाए. पकाने के बाद पोटली को बाहर निकाल लिया जाता है. इंस्टेंट मसालों और रेडी-टू-ईट खानों के इस दौर में, पोटली का मसाला हैदराबाद की उस धीमी आंच पर पकने वाली पाक विरासत की याद दिलाता है, जहां स्वाद को जल्दबाजी नहीं बल्कि वक्त और परंपरा से पकने दिया जाता है.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-hyderabad-potli-masala-history-traditional-ingredients-nizam-era-culinary-heritage-local18-9861688.html

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version