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‘आंटी जी चाय वाली’ बच्चों को दूध पिलाने तक के नहीं थे पैसे..तो खोली दुकान, आज बन गईं ब्रांड! पीने के लिए लगती है भीड़

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कमलेश आहूजा ने बताया कि उन्होंने 2002 में यह काम शुरू किया, जब परिवार में कमाने वाला कोई नहीं था. उनके पति कोई काम नहीं करते थे, और उस समय हालात इतने मुश्किल थे कि बच्चों के लिए दूध तक का इंतजाम करना कठिन था. क…और पढ़ें

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बीकानेर में फोर्ट स्कूल के सामने आंटी जी चाय वाले 

हाइलाइट्स

  • कमलेश आंटी ने 2002 में चाय बेचने का काम शुरू किया.
  • कमलेश आंटी के हाथ की चाय पीने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
  • कमलेश आंटी की दुकान पर केवल नकद भुगतान ही लिया जाता है.

निखिल स्वामी/बीकानेर. बीकानेर में महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर समाज के लिए मिसाल पेश कर रही हैं. ऐसी ही एक महिला हैं कमलेश आंटी, जो चाय बेचकर न केवल अपना घर चला रही हैं, बल्कि अपने बच्चों की पढ़ाई और शादियां भी कर चुकी हैं. फोर्ट स्कूल के सामने स्थित आंटी जी चाय वाली के नाम से मशहूर 55 साल की कमलेश आंटी पिछले 24 साल से अकेले चाय का ठेला चला रही हैं. उनके तीन बच्चे हैं, जिनमें दो बेटियों की शादी हो चुकी है, जबकि बेटा कभी-कभी दुकान में मदद करता है. कमलेश आंटी के हाथ की चाय पीने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

कमलेश आहूजा ने बताया कि उन्होंने 2002 में यह काम शुरू किया था, जब परिवार में कमाने वाला कोई नहीं था. उनके पति कोई काम नहीं करते थे, और उस समय बच्चों के पीने के लिए दूध तक का इंतजाम करना मुश्किल था. किसी से मदद न मिलने पर उन्होंने खुद घर चलाने की जिम्मेदारी उठाई और चाय बेचने का काम शुरू किया. इसी से न केवल घर का खर्चा चलाया, बल्कि बच्चों की पढ़ाई और दो बेटियों की शादी भी करवाई. अब वह अपने बेटे की पढ़ाई पूरी करवाकर उसकी शादी करवाने का सपना देख रही हैं.

काफी दूर-दूर तक है चाय की डिमांड
कमलेश आहूजा के दिन की शुरुआत सुबह 6:30 बजे दुकान खोलने से होती है, जो रात 12 बजे तक चलती है. इसके बाद वह घर जाकर खाना बनाकर खाती हैं. उनके ठेले पर मिलने वाली 10 रुपए की चाय पीने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

ऑनलाइन पेमेंट का नहीं कोई सिस्टम
कमलेश आहूजा न केवल अपनी दुकान संभालती हैं, बल्कि घर का सारा काम भी खुद ही करती हैं और खाना भी खुद बनाती हैं. दिलचस्प बात यह है कि यहां ज्यादातर दुकानों पर ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा उपलब्ध है, वहीं उनकी दुकान पर अभी भी सिर्फ नकद भुगतान ही लिया जाता है. इसका कारण यह है कि उन्हें मोबाइल चलाना नहीं आता. उन्होंने अपनी दुकान पर एक बोर्ड भी लगा रखा है, जिसमें साफ लिखा है कि यहां ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसलिए ग्राहक ज्यादातर कैश में ही भुगतान करते हैं.

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24 साल से बरकरार आंटी जी की चाय का स्वाद, दूर-दूर से आते हैं चाय के दीवाने!


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