Difference between motichoor and boondi laddu: इन दिनों गणेशोत्सव की धूम है. कल गणेश विसर्जन का दिन है. इस दौरान पूजा-पाठ में बप्पा को तरह-तरह के भोग लगाए जाते हैं. उन्हें मोदक के साथ लड्डू भी बेहद प्रिय हैं. कोई बूंदी का लड्डू चढ़ाता है तो कोई मोतीचूर लड्डू. कुछ लोग बेसन का लड्डू भी अर्पित करते हैं. लड्डू चाहे जिस चीज की भी हो, लंबोदर इससे बेहद प्रसन्न होते हैं. आमतौर पर किसी भी पूजा-पाठ में, शादी-ब्याह, गिफ्ट आदि में देने के लिए लोगों का पहला पसंद लड्डू ही होता है. चूंकि, दूसरी मिठाइयों की तुलना में लड्डू थोड़ा सस्ता भी होता है, इसलिए ये आम लोगों की बजट में आसानी से फिट भी हो जाता है.
जब लड्डू की बात निकली है तो क्या कभी आपने ये सोचा है कि इतने तरह के लड्डू तो हैं, क्या ये सब एक ही हैं. किसी का नाम बूंदी लड्डू, कोई मोतीचूर तो कोई बेसन का लड्डू. क्या ये सभी एक ही तरीके से बनते हैं? इन्हें बनाने के लिए किस मुख्य सामग्री का इस्तेमाल होता है? इनमें कोई अंतर है या नहीं?
कैसे बनता है बूंदी, मोतीचूर और बेसन का लड्डू
बात करें बूंदी, मोतीचूर या फिर बेसन के लड्डू की तो इन तीनों तरह के लड्डुओं को बनाने के लिए मुख्य सामग्री बेसन है. इसके अलावा, घी, चीनी, ड्राई फ्रूट्स, इलायची भी डालकर स्वादिष्ट लड्डू बनाते हैं. बात करें बूंदी या मोतीचूर लड्डू की तो पहले बेसन का घोल बनाकर तेल में छोटी-छोटी बूंदी तली जाती है. फिर इसे चीनी की चाशनी में मिलाकर गोल-गोल छोटे बॉल्स को लड्डू का आकार दिया जाता है.
वहीं, बेसन के लड्डू बनाने के लिए बेसन को घी में भूना जाता है. फिर इसमें चीनी को पीसकर डालते हैं. आप इसमें ड्राई फ्रूट्स भी मिक्स कर सकते हैं. अब इसे गोल-गोल आकार देकर बेसन का लड्डू बना सकते हैं.
बूंदी लड्डू और मोतीचूर लड्डू में क्या है अंतर?
चाहे बूंदी का लड्डू हो या फिर मोतीचूर लड्डू दोनों को बनाने के लिए बूंदी पहले तैयार की जाती है. बस, दोनों के आकार में फर्क होता है यानी बूंदी का दाना बड़ा-छोटा होता है. बूंदी के लड्डू की बूंदी बड़ी होती है और मोतीचूर के लड्डू की बूंदी छोटी-छोटी, बारीक होती है. इसे छोटी बूंदी का लड्डू भी कहते हैं. दोनों को बनाने के लिए बेसन का ही इस्तेमाल होता है. बूंदी को अधिक तलते हैं, वहीं मोतीचूर लड्डू के दानों को अधिक देर तक नहीं सेकते.
चाशनी की बात करें तो मोतीचूर लड्डू की चाशनी को बूंदी लड्डू की चाशनी की तुलना में कम पकाया जाता है. मोतीचूर के लड्डू को खाते समय मिठास, चाशनी अधिक पता चलता है. बूंदी लड्डू सूखा लगता है. संभवत: दोनों लड्डूओं को बनाते समय चाशनी में डाले रखने का समय कम-ज्यादा होता हो.
कुछ मोतीचूर लड्डू को जब आप हाथों में लेते हैं तो चाशनी उंगलियों पर लगती भी है. वहीं, बूंदी का लड्डू तैयार होने के बाद थोड़ा सूखा लगता है. इसे छूने पर हाथों में चाशनी नहीं चिपकती. शादी-ब्याह में बड़ी बूंदियों से बनाए गए बूंदी के लड्डू का खूब इस्तेमाल होता है. इसमें कुछ लोग गुलाबी, लाल, हरे रंग का फूड कलर भी बेसन के घोल में डालते हैं, ताकि बूंदी लड्डू रंग-बिरंगी दिखे.
सबसे खास बात ये है कि बूंदी के लड्डू मोतीचूर के लड्डू की तुलना में जल्दी खराब नहीं होते हैं. इन्हें आप कई दिनों तक स्टोर करके रख सकते हैं और खा सकते हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
FIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 13:44 IST
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