भोपाल. राजधानी भोपाल में वैसे तो खाने के ढेरों ऑप्शन हैं, मगर एक ऐसी भी दुकान है, जहां केवल विशेष दिन पर भगवान को भोग चढ़ाने के लिए मिठाई तैयार की जाती है. यह मिठाई भी कुछ अलग है, जिसे चपड़ी कहा जाता है. पुराने शहर में बाल मुकुंद की बगिया धर्मशाला में श्री पंडित जी स्वीट की दुकान है. यहां शरद पूर्णिमा के दिन 4 घंटे में चपड़ी बनती है, जिसकी भारी डिमांड होती है.
दुकान संचालक संजय कुमार शर्मा ने Bharat.one को बताया कि उन्होंने इसे बनाना अपने पिता स्व. शिव नारायण शर्मा से सीखा था. उनके पूर्वजों की दुकान पहले चौक में हुआ करती थी, लेकिन 1971 में बालमुकुंद की बगिया धर्मशाला में शिफ्ट हो गई. उसके बाद से वह यहीं पर यह मिठाई बनाते हैं. संजय शर्मा ने बताया, हमारे पिताजी के समय से ही हम शरद पूर्णिमा के दिन मिठाई बनाने की परंपरा निभाते आ रहे हैं. पहले यह शहर की कई दुकानों पर बनती थी, लेकिन अब यह सिर्फ हमारी दुकान पर मिलती है.
54 साल से बना रहे ये मिठाई
संजय ने बताया कि वह लगभग 54 साल से चपड़ी बनाने की परंपरा को निभाते आ रहे हैं. शरद पूर्णिमा के दिन चपड़ी का बहुत बड़ा महत्व है. इसे पूजा में खासतौर पर इस्तेमाल किया जाता है. रात के समय इस मिठाई को चांद की रोशनी में रखा जाता है. लोगों का मानना है कि इस मिठाई पर भगवान अमृत बरसाते हैं, जिसे बाद में महिलाएं अपने परिवार को खिलाकर उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं.
ऐसे बनाई जाती है चपड़ी
चपड़ी को बनाने के लिए गोंद, शक्कर, घी और काली मिर्च का उपयोग किया जाता है. कहां जाता है कि अक्टूबर में मौसम में बदलाव के कारण सर्दी और गर्मी दोनों का सीजन बना रहता है. ऐसे में सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षण देखने को मिलते हैं. यह मिठाई इन सभी तरह के लक्षणों को दूर करने में भी कारगर मानी जाती है.
FIRST PUBLISHED : October 16, 2024, 20:44 IST
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