बागेश्वर: चाय हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है. अधिकांश लोग पानी और दूध मिलाकर चाय पीते हैं, लेकिन क्या आपने कभी बिना पानी की चाय पी है. अगर नहीं, तो यह खबर आपके लिए खास है. दादी-नानी का एक पारंपरिक नुस्खा आज भी कई घरों में अपनाया जाता है. जिसमें चाय सिर्फ दूध से बनाई जाती है. यह चाय न केवल स्वाद में अद्भुत होती है, बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी देती है.
कैसे बनती है बिना पानी की चाय
बागेश्वर की स्थानीय जानकार महिला भावना रावत ने Bharat.one को बताया कि बिना पानी की चाय बनाने का तरीका बेहद आसान है. इसके लिए सबसे पहले ताजा और फुल क्रीम वाला दूध लिया जाता है. दूध को अच्छी तरह उबालने के बाद उसमें मनचाहा स्वाद देने के लिए चाय पत्ती, अदरक, इलायची, दालचीनी या लौंग डाली जाती है. स्वाद के अनुसार चीनी या शहद भी मिलाया जा सकता है. चाय को धीमी आंच पर अच्छी तरह पकाया जाता है, ताकि मसालों और पत्ती का पूरा अर्क दूध में घुल जाए. इस तरह तैयार चाय गाढ़ी, मलाईदार और ऊर्जा देने वाली होती है.
क्यों खास है यह चाय
इस चाय की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें पानी की जगह पूरा दूध इस्तेमाल होता है. इससे शरीर को प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी भरपूर मात्रा में मिलता है. यह हड्डियों को मजबूत करने के साथ-साथ शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा देती है. पहाड़ी इलाकों में दादी-नानी इस चाय को सर्दियों में खास तौर पर पिलाती थीं, क्योंकि यह शरीर को गर्म रखती है और थकान दूर करती है.
दादी माँ के नुस्खे के फायदे
यह चाय हड्डियों और दांतों के लिए फायदेमंद है. सर्दी-जुकाम से बचाव करती है, खासकर अदरक और इलायची डालने पर. पाचन तंत्र को मजबूत करती है. लंबे समय तक पेट भरा रखने में मदद करती है. थकान मिटाकर शरीर को तरोताजा करती है. सर्द मौसम में शरीर को गर्म रखती है. बच्चों और बुजुर्गों दोनों के लिए उपयुक्त. चाय में पानी न होने से पेट पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता.
कहाँ-कहाँ है प्रचलन
ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में यह परंपरा आज भी देखने को मिलती है. खासकर उत्तराखंड और हिमाचल के घरों में दादी-नानी सुबह के वक्त दूध से बनी चाय परिवार के सदस्यों को पिलाती हैं. त्योहारों और विशेष अवसरों पर भी इसे पसंद किया जाता है. आज के समय में जब लोग इंस्टेंट और पैकेट वाली चाय पर अधिक निर्भर हो गए हैं, ऐसे में दादी माँ का यह नुस्खा हमें परंपरा से जोड़ता है. बिना पानी की यह दूध वाली चाय सेहत, स्वाद और परंपरा का अनूठा संगम है. अगर आपने अभी तक इसे नहीं आजमाया है, तो एक बार जरूर बनाकर देखिए.