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Chhattisgarhi cuisine at Garh Kaleva in Surguja women are becoming self-dependent

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अब तक जो छत्तीसगढ़ी व्यंजन विशेष तीज-तिहार में या फरमाइश पर ही घर में बना करता था, वह अब हर दिन आपके आसपास मिलने लगा है. जिले के कलेक्टोरेट परिसर में गढ़कलेवा का संचालन यहां पर महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम स…और पढ़ें

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गढ़ कलेवा 

हाइलाइट्स

  • गढ़कलेवा में छत्तीसगढ़ी व्यंजन का स्वाद मिलेगा.
  • महिला स्व-सहायता समूह द्वारा गढ़कलेवा का संचालन.
  • ग्रामीण महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता मिली.

अम्बिकापुर:- छत्तीसगढ़ के व्यंजन और पारंपरिक पाककला के साथ उनकी मीठी बोली के चाशनी में डूबकर आपको गढ़ कलेवा में कुछ इस तरह मिलेगी कि आप इसे खाते ही कहेंगे, वाह मजा आ गया. निश्चित ही स्वाद के साथ मिठास भी आपको मिलेगा और एक बार खाने के बाद बार-बार खाने के लिए आपका मन ललचाएगा. गढ़ कलेवा में छत्तीसगढ़ी व्यंजन का हर वो जायका होगा, जो आपको चीला, भजिया, फरा और लाल मिर्च या टमाटर की चटनी में खाते-खाते आंखों का पानी तो बाहर निकाल ही देगा, लेकिन आप इससे दूर नहीं होना चाहेंगे.

छत्तीसगढ़ की शान हैं ये पकवान
यहां बनी अइरसा, खुरमी की मिठास आपकी मुंह की कडुवाहट को मिटाकर मुंह के जीभ को भीतर और बाहर घुमाने के लिए भी मजबूर कर देगी. मूंग बड़ा, दाल बड़ा, ठेठरी, गुलगुल भजिया, अंगाकर रोटी, भोभरा और विविध व्यंजन खाते ही आपको पंसद आने लगेंगे. जी हां, यह सही भी है, क्योंकि यह सभी पकवान छत्तीसगढ़ की शान है और स्वाद और मिठास हर व्यंजन की पहचान है. अब तक जो छत्तीसगढ़ी व्यंजन विशेष तीज-तिहार में या फरमाइश पर ही घर में बना करता था, वह अब हर दिन आपके आसपास मिलने लगा है. जिले के कलेक्टोरेट परिसर में गढ़कलेवा का संचालन यहां पर महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से किया गया है.

ग्रामीण महिलाओं को मिला रोजगार
ग्रामीण महिलाओं को स्व-सहायता से जोड़कर उन्हें स्व-रोजगार की दिशा में जोड़कर गढ़कलेवा का राज्यभर में संचालन होने से महिलाओं को लाभ हुआ है. बेरोजगार महिलाओं को समूह में जोड़कर, बैंक से लिंक करना, उनकी बैठक करना, प्रशिक्षण देना और गढ़कलेवा के माध्यम से नई संभावनाओं की ओर ले जाना आसान हो गया है.

निश्चित ही आने वाले दिनों में गढ़कलेवा से छत्तीसगढ़ के पारम्परिक व्यंजनों की पहचान बढ़ेगी और छत्तीसगढ़ की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के साथ अपनी सफलता और राज्य के विकास का इतिहास गढ़ेगी. Bharat.one की टीम को समूह की महिलाओं ने बताया कि पहले वो घर में घरेलू काम में रहती थी. फिर जब गढ़ कलेवा में काम करना शुरू किया, तो उनके जीवन में बदलाव देखने को मिल रहा है. वे आत्मनिर्भर हो चुकी हैं और शहर में अब गढ़ कलेवा का व्यंजन होम डिलीवरी जैसे शहर के बड़े दफ्तरों में पहुंचाया जा रहा है.

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