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Dausa Farmer Innovation: सिकराय के किसान बच्चूसिंह मीना ने करौंदे से पूरी तरह प्राकृतिक और रसायनमुक्त पेय पदार्थ तैयार कर खेती में नवाचार का उदाहरण पेश किया है. यह सेहतमंद जूस घरेलू विधि से मिश्री मिलाकर तैयार किया जाता है. जूस विटामिन C से भरपूर है और स्थानीय बाजार में लोकप्रिय हो रहा है, जिससे किसान को अच्छी आमदनी हो रही है.
दौसा. जहां अधिकतर किसान अभी भी पारंपरिक खेती पर निर्भर हैं, वहीं दौसा जिले के सिकराय उपखंड के प्रगतिशील किसान बच्चूसिंह मीना ने खेती में नवाचार (Innovation) का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है. उन्होंने अपने खेतों में उगाए जाने वाले करौंदे (Gooseberry) से एक पूरी तरह प्राकृतिक, रसायनमुक्त पेय पदार्थ तैयार किया है, जो स्थानीय स्तर पर लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है. यह पहल ग्रामीण उद्यमिता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता दोनों को बढ़ावा दे रही है.
किसान बच्चूसिंह मीना बताते हैं कि उन्होंने करौंदे से जूस तैयार करने का विचार खेत में उगे फलों का बेहतर उपयोग करने और उनकी बर्बादी रोकने के लिए अपनाया. उनकी जूस बनाने की विधि पूरी तरह पारंपरिक और घरेलू है:
- तैयारी: सबसे पहले ताजे करौंदों को दो हिस्सों में काटकर उनके बीज निकाले जाते हैं.
- मिश्रण: फिर इन टुकड़ों को साफ बर्तन में डालकर एक किलो करौंदे में लगभग सवा किलो मिश्री मिलाई जाती है.
- प्राकृतिक प्रक्रिया: कुछ ही दिनों में मिश्री पिघलने लगती है और करौंदे से प्राकृतिक रस (जूस) निकलना शुरू हो जाता है.
- रसायनमुक्त: बच्चूसिंह के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया बिना किसी रसायन या संरक्षक पदार्थ (Preservative) के होती है. लगभग चार से पांच दिनों में जूस तैयार हो जाता है, और यह प्रक्रिया तीन महीने तक लगातार जारी रखी जा सकती है.
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक गुणों से भरपूर
करौंदे का यह जूस स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक भी है. यह कई मायनों में बाजार के केमिकल युक्त कोल्ड ड्रिंक्स से बेहतर है:
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: इसमें विटामिन C की प्रचुर मात्रा होती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाता है.
- ऊर्जा और त्वचा: नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और त्वचा में प्राकृतिक निखार आता है.
- पाचन तंत्र: यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और अपच, कब्ज जैसी समस्याओं को कम करने में भी सहायक है.
- मानसिक स्वास्थ्य: बच्चूसिंह का कहना है कि इस जूस के सेवन से बच्चों की स्मरण शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि होती है, वहीं मानसिक थकान भी कम होती है. यह जूस ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में भी सहायक है.
स्थानीय बाजार में बढ़ी मांग
बच्चूसिंह मीना बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अब धीरे-धीरे बाजार के कोल्ड ड्रिंक और केमिकल युक्त जूस से दूरी बनाकर ऐसे प्राकृतिक पेय अपनाने लगे हैं. उनके तैयार किए गए जूस की मांग स्थानीय बाजार में लगातार बढ़ रही है, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है.
वे अन्य किसानों से भी अपील करते हैं कि खेतों में उगने वाले स्थानीय फलों से प्राकृतिक और सुरक्षित उत्पाद तैयार करें, जिससे न केवल आमदनी बढ़ेगी बल्कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी.
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