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Uttarakhand: इंग्लैंड से आया बीज, हर्षिल में बना स्वाद की पहचान! जानिए क्यों मशहूर है उत्तराखंड की ये खास राजमा – Uttarakhand News

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Uttarakhand Traditional Food Rajma: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का हर्षिल सिर्फ अपनी खूबसूरत वादियों के लिए ही नहीं बल्कि अपनी खास किस्म की सफेद राजमा के लिए भी देशभर में मशहूर है. इंग्लैंड से आए बीजों से शुरू हुई इस खेती ने अब हर्षिल को राजमा की पहचान बना दिया है, जिसकी मुलायम बनावट और लाजवाब स्वाद इसे बाकी किस्मों से खास बनाते हैं.

देहरादून: भारत में राजमा-चावल को हर घर में पसंद किया जाता है, खासकर दोपहर के खाने में. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड की पहाड़ियों में उगने वाली सफेद राजमा का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है? उत्तरकाशी के हर्षिल क्षेत्र की यह खास किस्म स्वाद और पौष्टिकता में इतनी बेहतरीन है कि आज इसकी पहचान देश-विदेश तक बन चुकी है. लगभग 300 रुपये किलो बिकने वाली यह राजमा बेहद मुलायम होती है और मुंह में घुल जाने वाली बनावट के कारण इसे खाने वाले इसके स्वाद को लंबे समय तक नहीं भूलते. हर्षिल में हर साल लगभग 120 मैट्रिक टन राजमा का उत्पादन किया जाता है.

हर्षिल की घाटियों में उगती है अनोखी राजमा
उत्तरकाशी जनपद की शांत वादियों में से एक हर्षिल न सिर्फ सेब के लिए बल्कि अपनी खास सफेद राजमा के लिए भी प्रसिद्ध है. स्थानीय निवासी नवेंदु बताते हैं कि यहां के किसान लंबे समय से इस राजमा की खेती कर रहे हैं. पहाड़ों पर यह राजमा चावल के साथ खास पसंद की जाती है, और जब इसमें देसी घी डाला जाता है तो इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है.
कैसे शुरू हुई हर्षिल राजमा की खेती
हर्षिल राजमा की कहानी 1850-60 के दशक की है, जब एक अंग्रेज़ विल्सन उत्तरकाशी के हर्षिल में आकर बस गया. विल्सन इंग्लैंड से राजमा के बीज लाया और यहां इसकी खेती शुरू करवाई. धीरे-धीरे यह किस्म हर्षिल की पहचान बन गई. आज इस राजमा की गुणवत्ता इतनी बेहतरीन मानी जाती है कि देहरादून की प्रदर्शनियों से लेकर दिल्ली के हाट बाजारों तक यह लोगों की पहली पसंद बनी हुई है.

कैमिकल फ्री और पोषक तत्वों से भरपूर
हर्षिल, धराली और मुखबा जैसे इलाकों में उगाई जाने वाली इस राजमा में 21 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है. यह पूरी तरह कैमिकल फ्री होती है क्योंकि स्थानीय किसान इसमें रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं करते. यही वजह है कि इसे नकदी फसल के रूप में भी उगाया जाता है. यह राजमा लगभग 9 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होती है, जिससे इसका स्वाद और भी विशिष्ट बन जाता है.

उत्तराखंड की पहचान बनी हर्षिल राजमा
आज हर्षिल की सफेद राजमा उत्तराखंड की शान बन चुकी है. सेहत के लिहाज से यह पौष्टिक है और स्वाद में भी लाजवाब. राज्य के किसान इसे गर्व से अपनी पहचान के रूप में देखते हैं. प्रकृति की गोद में उगने वाली यह फसल न सिर्फ लोगों के स्वाद का हिस्सा है बल्कि स्थानीय किसानों की आय का भी मजबूत जरिया बन चुकी है.

हर्षिल की यह अनोखी राजमा इतिहास, स्वाद और सेहत का ऐसा संगम है जिसने उत्तराखंड के इस छोटे से गांव को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला दी है.

Seema Nath

सीमा नाथ पांच साल से मीडिया के क्षेत्र में काम कर रही हैं. मैने शाह टाइम्स, उत्तरांचल दीप, न्यूज अपडेट भारत के साथ ही Bharat.one ( नेटवर्क 18) में काम किया है. वर्तमान में मैं News 18 (नेटवर्क 18) के साथ जुड़ी हूं…और पढ़ें

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उत्तराखंड की खास राजमा…इंग्लैंड से आया बीज, हर्षिल में बना स्वाद की पहचान!


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