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अगर आपके पास हैं बतख, तो ये 4 बीमारी न करें नजरअंदाज, एक्सपर्ट से जानें बचाव के सरल उपाय

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Agency:Bharat.one Jharkhand

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Bokaro News: बतखों के लिए कुछ खतरनाक बीमारियां गंभीर समस्या बन सकती हैं. बोकारो के पशु चिकित्सक के अनुसार, इन बीमारियों से बचाव के लिए कुछ सरल उपाय अपनाने की जरूरत है.

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बतख कि तस्वीर 

हाइलाइट्स

  • बतखों में प्लेग, हैजा, चेचक और लिबर नेक बीमारियों का खतरा अधिक होता है।
  • बीमारियों से बचाव के लिए साल में दो बार टीकाकरण जरूरी है।
  • स्वच्छ भोजन, साफ पानी और पौष्टिक आहार देना चाहिए।

बोकारो. ग्रामीण भारत में बतख पालन पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण जीविका का साधन है. लेकिन कई बार देखभाल की कमी, दूषित वातावरण और संक्रमित पदार्थों के संपर्क में आने से बतखों में गंभीर बीमारियां हो जाती हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है और पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

इसी को ध्यान में रखते हुए, बोकारो के चास पेट क्लिनिक के पशु चिकित्सक डॉ. अनिल ने Bharat.one को महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि देखभाल की कमी के कारण सर्दियों के दौरान बतखों में प्लेग, बतख हैजा, बतख चेचक, और लिबर नेक जैसी बीमारियों का अधिक खतरा होता है.

बतख प्लेग
यह बीमारी दूषित वातावरण और संक्रमित भोजन के कारण होती है. इससे बतखों में पतला दस्त, आंखों में सूजन, चिपचिपा पदार्थ निकलना और अंडा उत्पादन में कमी देखने को मिलती है. इस बीमारी से बचने के लिए साल में दो बार बतख प्लेग का टीका लगवाना जरूरी है. साथ ही, बतखों को हमेशा साफ-सुथरे वातावरण में रखकर और पौष्टिक आहार देना चाहिए.

बतख हैजा
यह एक जीवाणु जनित बीमारी है जो पेसटुरेला मुलटोसिडा बैक्टीरिया के कारण होती है. इस बीमारी में बतख का खाना-पीना बंद हो जाता है और पैरों के जोड़ों में सूजन और लंगड़ापन देखने को मिलता है. बतख हैजा से बचाव के लिए भी साल में दो बार टीकाकरण करवाना चाहिए और बतख के रहने वाले स्थान की नियमित सफाई करनी चाहिए, क्योंकि बतख के मल से संक्रमण का खतरा अधिक होता है.

बतख चेचक
यह बीमारी दो प्रकार की होती है. एक प्रकार में आंख, चोंच, गले और नाक को प्रभावित करती है, जबकि दूसरे प्रकार में बतख के शरीर में दाने देखने को मिलते हैं. इस बीमारी की रोकथाम के लिए समय पर टीकाकरण ही उपाय है.

लिबर नेक
यह भी एक जीवाणु जनित बीमारी है जिसे बोटुलिज्म भी कहा जाता है. इसमें बतख खाना-पीना बंद कर देती है, अंडा उत्पादन रुक जाता है और गंभीर मामलों में बतख की मृत्यु से पहले पैरालिसिस हो जाता है. इस बीमारी से बचने के लिए बतख को स्वस्थ बतखों से अलग कर देना चाहिए ताकि संक्रमण न फैले. बचाव के लिए बतख को नमक पानी का घोल पिलाएं और पशु चिकित्सक से जांच कराएं.

बतखों को इन बीमारियों से बचाने के लिए स्वच्छ भोजन और साफ पानी देना चाहिए. बीमार बतख को स्वस्थ बतखों से अलग कर तुरंत पशु चिकित्सक से टीकाकरण और पौष्टिक आहार प्रदान करना चाहिए.

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अगर आपके पास हैं बतख, तो ये 4 बीमारी न करें नजरअंदाज, जानें बचाव के सरल उपाय

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.


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