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Tips for Better Sleep: डॉ जुगरान ने बताया कि आयुर्वेद में तीन दोष होते हैं जिनके नाम वात, पित्त, कफ हैं, जिनका संतुलन स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी होता है. नस्य विधि खासतौर पर वात दोष को नियंत्रित करने में मदद करत…और पढ़ें
नाक में तेल डालने के आयुर्वेद में बहुत फायदे बताए गए हैं लेकिन आप किस तरह से कौन से तेल को और किस समय नाक में डाल सकते हैं यह भी जानना जरूरी है.उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की आयुर्वेदिक चिकित्सक शालिनी जुगरान ने जानकारी देते हुए कहा कि आयुर्वेद में नाक में तेल डालने की विधि को नस्य कहा जाता है. इसकी बहुत फायदे बताए गए हैं.
डॉ जुगरान ने बताया कि आयुर्वेद में नस्य विधि मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को शुद्ध करने का एक शक्तिशाली प्रक्रिया है, जो मानसिक विकारों, सिरदर्द, और स्मृति से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में सहायता करती है. उन्होंने बताया कि नासिका का सीधा संबंध दिमाग से होता है. नाक में डाले गए औषधीय तेल मस्तिष्क के उन हिस्सों तक पहुँचते हैं जो तंत्रिका तंत्र को कंट्रोल करते हैं. इससे मानसिक विकार, तनाव और अन्य मस्तिष्क संबंधी परेशानी का इलाज किया जा सकता है.
अनिद्रा की परेशानी को दूर करता है नस्य
डॉ जुगरान ने बताया कि आयुर्वेद में तीन दोष होते हैं जिनके नाम वात, पित्त, कफ हैं, जिनका संतुलन स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी होता है. नस्य विधि खासतौर पर वात दोष को नियंत्रित करने में मदद करती है, जो मानसिक विकारों और तनाव का मुख्य कारण होता है. गलत तरह से या बिना सही मार्गदर्शन के नस्य विधि का इस्तेमाल समस्याएं पैदा कर सकते हैं. अगर व्यक्ति को नाक, साइनस, या श्वसन तंत्र से संबंधित कोई गंभीर समस्या है, तो इस विधि को अपनाने से पहले डॉक्टर का परामर्श लेना चाहिए.
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