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अब सांसों की गर्मी से ही पता चल जाएगा डायबिटीज है या नहीं, वैज्ञानिकों ने बनाया सेंसर, 1 मिनट में रिजल्ट

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Breath Test for Diabetes: डायबिटीज का पता लगाने के लिए खून टेस्ट कराना पड़ता है. इसमें 24 घंटे का समय लगता है लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक सेंसर विकसित किया है जो सांसों की गर्मी से ही डायबिटीज के बारे में बता दे…और पढ़ें

सांसों की गर्मी से ही पता चल जाएगा डायबिटीज है या नहीं, वैज्ञानिकों ने बनायाशुगर टेस्ट.
Breath Test for Diabetes: डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो शरीर को चुपके-चुपके खोखला करने लगती है. इसका टेस्ट कराने के लिए खून देना पड़ता है और पूरी रिजल्ट आने में 24 घंटे का समय लग सकता है. लेकिन वैज्ञानिकों ने एख सेंसर बनाया है जिसकी बदौलत सांसों की गर्मी से यह पता लगा लिया जाएगा कि किसी व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं. यह डायबिटीज़ और प्री-डायबिटीज़ की जांच का सबसे सस्ता और तेज़ तरीका बन सकता है. शोधकर्ताओं ने इसके लिए नया सेंसर विकसित किया है जो सांस में मौजूद एसीटोन के स्तर को मापता है. एसिटोन फैट बर्न का बाय प्रोडक्ट है. सांसों में एसीटोन का स्तर अगर 1.8 पार्ट प्रति मिलियन से अधिक होता है तो डायबिटीज़ की ओर संकेत कर सकता है.भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को डायबिटीज है लेकिन उनमें से आधे लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं होती. वर्तमान में लोगों का निदान डॉक्टर से अपॉइंटमेंट या लैब टेस्ट के बाद किया जाता है, जिसमें रक्त या पसीने में ग्लूकोज़ की जांच की जाती है. यह प्रक्रिया समय लेने वाली और महंगी होती है.

कैसे काम करता है सेंसर

केमिकल इंजीनयरिंग जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि डायबिटीज़ के लिए अन्य सांस परीक्षण उपलब्ध हैं लेकिन उनमें अभी भी लैब विश्लेषण की आवश्यकता होती है. जबकि एसीटोन स्तर को सीधे वहीं मापा जा सकता है. इसमें व्यक्ति केवल एक बैग में सांस छोड़ता है और बाद में उसमें सेंसर को घुसा दिया जाता है फिर तुरंत यह जांच कर देता है कि व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं. पेन स्टेट में इंजीनियरिंग साइंस एंड मेकैनिक्स के जेम्स एल. हेंडरसन जूनियर मेमोरियल में एसोसिएट प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक हुआन्यू लैरी चेंग ने बताया कि हमारे पास ऐसे सेंसर हैं जो पसीने में ग्लूकोज़ का पता लगा ब्लड शुगर टेस्ट कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें व्यायाम, रसायनों या सॉना के माध्यम से पसीना लाना पड़ता है, जो हमेशा व्यावहारिक या सुविधाजनक नहीं होता. इस सेंसर में केवल आप एक थैली में सांस छोड़ते हैं और सेंसर को उसमें डुबोकर और कुछ मिनटों में परिणाम प्राप्त कर लें.

करोड़ों लोगों को फायदा

एसोसिएट प्रोफेसर चेंग ने कहा कि अगला कदम इस सेंसर को इस तरह विकसित करना है कि इसे मास्क के अंदर या सीधे नाक के नीचे लगाया जा सके. उन्होंने कहा है कि अब यह पता लगाया जाएगा कि कैसे इस सेंसर का उपयोग कई तरह के स्वास्थ्य संकेतों के रूपों में किया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो डायबिटीज के इलाज में महत्वपूर्ण सुधार लाया जा सकता है. गौरतलब है कि डायबिटीज के कारण करीब 40 करोड़ लोग परेशान हैं जिनमें भारत में ही 10 करोड़ से ज्यादा लोग हैं. मुश्किल यह है कि आधे से ज्यादा लोगों को पता ही नहीं है कि उनके शरीर में डायबिटीज की बीमारी पल रही है. अगर टेस्ट का आसान तरीका विकसित हो जाता है इससे करोड़ों लोगों को फायदा होगा. डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल और रेगुलर एक्सरसाइज जरूरी है. इसके साथ ही बाहर का खराब फूड से परहेज करना है.

LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें

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सांसों की गर्मी से ही पता चल जाएगा डायबिटीज है या नहीं, वैज्ञानिकों ने बनाया

Breath Test for Diabetes: डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो शरीर को चुपके-चुपके खोखला करने लगती है. इसका टेस्ट कराने के लिए खून देना पड़ता है और पूरी रिजल्ट आने में 24 घंटे का समय लग सकता है. लेकिन वैज्ञानिकों ने एख सेंसर बनाया है जिसकी बदौलत सांसों की गर्मी से यह पता लगा लिया जाएगा कि किसी व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं. यह डायबिटीज़ और प्री-डायबिटीज़ की जांच का सबसे सस्ता और तेज़ तरीका बन सकता है. शोधकर्ताओं ने इसके लिए नया सेंसर विकसित किया है जो सांस में मौजूद एसीटोन के स्तर को मापता है. एसिटोन फैट बर्न का बाय प्रोडक्ट है. सांसों में एसीटोन का स्तर अगर 1.8 पार्ट प्रति मिलियन से अधिक होता है तो डायबिटीज़ की ओर संकेत कर सकता है.भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को डायबिटीज है लेकिन उनमें से आधे लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं होती. वर्तमान में लोगों का निदान डॉक्टर से अपॉइंटमेंट या लैब टेस्ट के बाद किया जाता है, जिसमें रक्त या पसीने में ग्लूकोज़ की जांच की जाती है. यह प्रक्रिया समय लेने वाली और महंगी होती है.

कैसे काम करता है सेंसर

केमिकल इंजीनयरिंग जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि डायबिटीज़ के लिए अन्य सांस परीक्षण उपलब्ध हैं लेकिन उनमें अभी भी लैब विश्लेषण की आवश्यकता होती है. जबकि एसीटोन स्तर को सीधे वहीं मापा जा सकता है. इसमें व्यक्ति केवल एक बैग में सांस छोड़ता है और बाद में उसमें सेंसर को घुसा दिया जाता है फिर तुरंत यह जांच कर देता है कि व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं. पेन स्टेट में इंजीनियरिंग साइंस एंड मेकैनिक्स के जेम्स एल. हेंडरसन जूनियर मेमोरियल में एसोसिएट प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक हुआन्यू लैरी चेंग ने बताया कि हमारे पास ऐसे सेंसर हैं जो पसीने में ग्लूकोज़ का पता लगा ब्लड शुगर टेस्ट कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें व्यायाम, रसायनों या सॉना के माध्यम से पसीना लाना पड़ता है, जो हमेशा व्यावहारिक या सुविधाजनक नहीं होता. इस सेंसर में केवल आप एक थैली में सांस छोड़ते हैं और सेंसर को उसमें डुबोकर और कुछ मिनटों में परिणाम प्राप्त कर लें.

करोड़ों लोगों को फायदा

एसोसिएट प्रोफेसर चेंग ने कहा कि अगला कदम इस सेंसर को इस तरह विकसित करना है कि इसे मास्क के अंदर या सीधे नाक के नीचे लगाया जा सके. उन्होंने कहा है कि अब यह पता लगाया जाएगा कि कैसे इस सेंसर का उपयोग कई तरह के स्वास्थ्य संकेतों के रूपों में किया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो डायबिटीज के इलाज में महत्वपूर्ण सुधार लाया जा सकता है. गौरतलब है कि डायबिटीज के कारण करीब 40 करोड़ लोग परेशान हैं जिनमें भारत में ही 10 करोड़ से ज्यादा लोग हैं. मुश्किल यह है कि आधे से ज्यादा लोगों को पता ही नहीं है कि उनके शरीर में डायबिटीज की बीमारी पल रही है. अगर टेस्ट का आसान तरीका विकसित हो जाता है इससे करोड़ों लोगों को फायदा होगा. डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल और रेगुलर एक्सरसाइज जरूरी है. इसके साथ ही बाहर का खराब फूड से परहेज करना है.

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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-now-diabetes-can-be-detected-through-breath-test-scientists-developed-sensor-for-sugar-test-ws-n-9588573.html

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