नागौर. कहते हैं, प्रकृति हर दर्द की दवा अपने साथ लाती है, बस हमें उसे पहचानने और इस्तेमाल करने का तरीका आना चाहिए. ऐसा ही एक चमत्कारी पौधा है हिरणकुरी, जिसे लोग अनदेखा कर देते हैं पर इसकी ताकत अद्भुत है. यह पौधा किसी बाग या खेत की उगने के लिए नहीं, बल्कि अक्सर ईंटों की दरारों, खाली जमीन या दीवारों के किनारे अपने आप उग आता है. इसकी पहचान आसान है. हरे पत्ते जिनके नीचे का हिस्सा बैंगनी या जामुनी रंग का होता है. आयुर्वेद में हिरनकुरी को एक बहुउपयोगी औषधि माना गया है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं. यह पौधा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और अंदरूनी विषाक्तता को दूर करने में बेहद सहायक होता है.
हिरनकुरी की पत्तियाें के लेप से भर जाते हैं जख्म
हिरनकुरी के पत्ते जख्म और जलने पर भी बेहतर लाभकारी होते हैं. इसकी पत्तियों का रस या लेप जख्म, जलने या सूजन वाले हिस्सों पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं और संक्रमण नहीं फैलता. तथा इसका उपयोग सांप या कीड़े के काटने पर किया जाता है. ग्रामीण इलाकों में लोग सांप या जहरीले कीड़े के काटने पर हिरनकुरी की पत्तियां पीसकर घाव पर लगाने और रस पिलाने की परंपरा रखते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, यह पेट दर्द और गैस में राहत देता है. इस पौधे की कुछ पत्तियां पानी में उबालकर पीने से पाचन संबंधी समस्याए, जैसे गैस, पेट दर्द या अपच में आराम मिलता है. तथा यह मानसिक शांति और सिरदर्द मे आराम दायक है. इसके रस को माथे पर लगाने से सिरदर्द में राहत और मानसिक शांति का अनुभव होता है.
काढ़ा, चूर्ण या लेप के तौर पर कर सकते हैं उपयोग
ग्रामीण शारदा देवी ने हिरनकुरी के पत्तों को लंबे समय तक उपयोग करने की विधि बताई है. हिरनकुरी की पत्तियों को काटकर साफ पानी से धो लें, फिर धूप में अच्छी तरह सुखा लें. जब यह पूरी तरह सूख जाए, तो इन्हें एक कांच की बोतल या डिब्बे में रखें. इस तरह यह महीनों तक सुरक्षित रहती है और जब भी ज़रूरत हो, काढ़ा, चूर्ण या लेप के रूप में उपयोग की जा सकती है. शारदा देवी ने बताया कि हिरनकुरी काढ़ा बेहद आसान तरीके से बनाया जा सकता है. इसके लिए अदरक का छोटा टुकड़ा, हिरनकुरी, तुलसी और अदरक को पानी में डालकर 10 मिनट तक उबालें. अब छानकर गुनगुना करें और इसमें शहद मिलाएं. यह काढ़ा सुबह-शाम पीने से बुखार, खांसी और थकान में राहत मिलती है.
ऐसे बनाएं हिरनकुरी डिटॉक्स ड्रिंक
उन्होंने हिरनकुरी पेस्ट बनाने की विधि भी बताई है. इसके लिए ताजी हिरनकुरी की पत्तियां, थोड़ा सा हल्दी पाउडर, कुछ बूंद नींबू का रस लेकर तीनों के मिश्रण का पेस्ट बना लें और प्रभावित हिस्से पर लगाएं. यह सूजन कम करने और संक्रमण रोकने में मदद करता है. इसके साथ ही हिरनकुरी डिटॉक्स ड्रिंक बनाकर उपयोग में ले सकते हैं. इसके लिए हिरनकुरी की 4-5 पत्तियां, नींबू का रस, एक ग्लास गुनगुना पानी लें. पत्तियों को पीसकर पानी में मिलाएं, फिर नींबू डालें. सुबह खाली पेट पीने से यह शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालता है और स्किन को ग्लोइंग बनाता है.
हिरनकुरी भले ही एक साधारण-सा पौधा दिखे, लेकिन यह प्रकृति की छुपी हुई औषधि है. इसकी खासियत है कि यह बिना देखरेख के उगता है और हर घर की छोटी-मोटी बीमारी में काम आता है. अगर आप प्राकृतिक इलाज में विश्वास रखते हैं, तो अपने आस-पास उगने वाले इस पौधे को कभी अनदेखा न करें, क्योंकि कभी-कभी सबसे बड़ी दवा सबसे छोटी जगहों पर उगती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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