Home Lifestyle Health कमजोर दिल बढ़ा सकता है गंभीर परेशानी, अगर कम ईएफ है तो...

कमजोर दिल बढ़ा सकता है गंभीर परेशानी, अगर कम ईएफ है तो भूलकर भी न करें नजरअंदाज, जानिए क्या है यह बला

0


Ejection Fraction: दिल की ताकत समझनी हो तो कभी भी इजेक्शन फ्रैक्शन (ईएफ) को हल्के में नहीं लेना चाहिए. दिल हर धड़कन में जितना खून शरीर में भेजता है, उसी का प्रतिशत ईएफ कहलाता है. अगर दिल मजबूती से सिकुड़ता है तो पम्पिंग अच्छी रहती है और ईएफ नॉर्मल आता है, लेकिन जब दिल की मांसपेशियां थकने लगती हैं, जकड़न बढ़ने लगती है या दिल को जरूरी ताकत नहीं मिल पाती, तब ईएफ कम होने लगता है. इसी वजह से डॉक्टर हार्ट मरीज का सबसे पहले ईएफ की रिपोर्ट चेक करते हैं. अब सवाल है कि आखिर ईएफ क्या है? ईएफ मापने का क्या है तरीका? कब कम हो सकता ईएफ? आइए जानते हैं इस बारे में-

ईएफ क्या होता है

मायोक्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, इजेक्शन फ्रैक्शन (EF) मापता है कि आपका हार्ट प्रत्येक धड़कन के साथ कितना रक्त पंप करता है. इसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है. यह आपके हार्ट की पंपिंग क्षमता को दर्शाता है, जिसमें एक सामान्य इजेक्शन फ्रैक्शन 55% से 70% के बीच होता है. कम इजेक्शन फ्रैक्शन दिल की विफलता का संकेत हो सकता है, जबकि एक स्वस्थ हृदय भी सामान्य रूप से 100 प्रतिशत रक्त पंप नहीं करता है.

सामान्य इजेक्शन अंश क्या है?

एक स्वस्थ हृदय में इजेक्शन अंश 50% से 70% होता है. प्रत्येक धड़कन के साथ, आपके बाएँ निलय से 50% से 70% रक्त आपके शरीर में पंप हो जाता है.

इजेक्शन अंश प्रतिशत

लिंग       सामान्य             हल्का असामान्य     मध्यम असामान्य            गंभीर असामान्य
पुरुष     52% से 72%       41% से 51%           30% से 40%                   30% से नीचे
महिला  54% से 74%       41% से 53%           30% से 40%                    30% से नीचे
बता दें कि, सामान्य इजेक्शन फ्रैक्शन वाले कुछ लोगों में भी हार्ट फेलियर होता है. इसे संरक्षित इजेक्शन फ्रैक्शन (HFpEF) के साथ हार्ट फेलियर कहा जाता है.

ईएफ मापने का सही तरीका

ईएफ मापने के लिए सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है इको टेस्ट. इसमें दिल की दीवारें साफ दिखाई देती हैं और पता चलता है कि दिल कितना खून पंप कर रहा है, वाल्व ठीक काम कर रहे हैं या नहीं और खून का फ्लो कैसा है. साल में कम से कम एक बार ये टेस्ट कराना अच्छा माना जाता है. ईएफ की रेंज भी बहुत कुछ बताती है. 55-70 नॉर्मल, 41-54 हल्की कमी, 31-40 मध्यम कमी और 30 से कम गंभीर स्थिति मानी जाती है.

ईएफ कम होने के कारण

ईएफ कम होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे पुराना हाई बीपी, हार्ट अटैक का इतिहास, ज्यादा तनाव, शराब का अधिक सेवन, अनकंट्रोल शुगर, ब्लॉकेज, थायरॉयड समस्या, स्मोकिंग और कुछ वायरल इंफेक्शन जो दिल की मांसपेशियों को कमजोर कर देते हैं. ईएफ कम होने के लक्षण भी अक्सर धीरे-धीरे सामने आते हैं, जैसे सीढ़ियां चढ़ते समय सांस फूलना, जल्दी थक जाना, धड़कन बढ़ना, पैरों में सूजन या रात में सांस लेने में परेशानी.

ईएफ पर क्या कहता आयुर्वेद

आयुर्वेद के अनुसार जब हृदय कमजोर होता है तो शरीर की शक्ति और प्राणवायु पर असर पड़ने लगता है. रसधातु की कमी, दोषों का असंतुलन और मानसिक तनाव इसे और बिगाड़ सकते हैं. अर्जुन, द्राक्ष, अश्वगंधा और पुष्करमूल जैसी औषधियां हृदय को पोषण देने वाली मानी जाती हैं. हल्की वॉक, संतुलित भोजन और मन को शांत रखकर भी काफी सुधार देखा गया है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ईएफ कम होने का मतलब है कि दिल की मांसपेशियां कमजोर या डैमेज हैं. सही मेडिसिन और लाइफस्टाइल सुधार मिलकर कई मरीजों में ईएफ को 10-15 प्रतिशत तक बढ़ा देते हैं.

दिल मजबूत बनाने के लिए क्या करें

कम नमक, हल्का खाना, सुबह टहलना, बीपी–शुगर कंट्रोल, तनाव कम करना और समय पर सोना-जागना दिल को मजबूत बनाने में मदद करते हैं, लेकिन अगर अचानक सांस रुकने लगे, तेज सीने में दर्द हो या धड़कन बहुत तेज महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-ejection-fraction-signs-of-weak-heart-and-ways-to-improve-revealed-know-symptoms-ws-kl-9884924.html

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version