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क्या ज्यादा बारिश से चिकनगुनिया, डेंगू-मलेरिया का बढ़ जाता है खतरा? डॉक्टर से जानें सच्चाई और बचाव के तरीके

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भयंकर गर्मी झेलने के बाद बरसात का मौसम बहुत सुहावना लगता है. लेकिन, आपको बता दूं कि, यह मौसम अपने साथ कई परेशानियों को भी लेकर आती है. बता दें कि, बारिश के आते ही नालियों, गमलों, बेकार पड़े बर्तनों और कूलरों में जमा पानी जमा होने लगता है. ये पानी के गड्ढे जानलेवा बीमारियों के वाहक मच्छरों के प्रजनन स्थल बन जाते हैं. यही वजह है कि इस मौसम में मच्छरों की तादाद तेजी से बढ़ती है. ये मच्छर न सिर्फ खून चूसते हैं, बल्कि मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के वायरस को एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुंचाते हैं. अब सवाल है कि क्या बारिश ज्यादा होने से चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया (Chikungunya, dengue-malaria) का खतरा अधिक बढ़ जाता है? बरसात में क्यों बढ़ता चिकनगुनिया, डेंगू-मलेरिया का खतरा? इन बीमारियों से बचने के लिए क्या करें? आइए जानते हैं इस बारे में-

बरसात में क्यों बढ़ता चिकनगुनिया, डेंगू-मलेरिया का खतरा

राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिलीप सिंह के मुताबिक, बारिश के मौसम में मच्छरों की तादाद तेजी से बढ़ती है. ये मच्छर चिकनगुनिया, डेंगू-मलेरिया को जोखिम तेजी से बढ़ाते हैं. बता दें कि, डेंगू और चिकनगुनिया एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है, जबकि मलेरिया एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से फैलता है. इन तीनों बीमारियों के लक्षण एक जैसे होते हैं, जैसे- बुखार, ठंड लगना, थकान और शरीर में दर्द. इसलिए बीमारी की शुरुआती पहचान मुश्किल हो जाती है.
मानसून में खुद को सुरक्षित रखने के 10 तरीके

स्थिर पानी को हटाएं: मच्छर पानी के छोटे-छोटे गड्ढों में भी पनपते हैं. फूलों के गमले, कूलर की टंकियां, बाल्टियां और बंद नालियां नियमित रूप से खाली करते रहें.

नालियों को साफ रखें: बंद नालियों में बारिश का पानी जमा हो जाता है, जो मच्छरों के पनपने का सुरक्षित स्थान बन जाता है. इसलिए मानसून से पहले और उसके दौरान इनकी सफ़ाई ज़रूर करवाएं.

कचरे का निपटान करें: कचरा हमेशा सील बंद थैलियों में डालें. बाइओडिग्रेड्डबल कचरे का पुन: उपयोग करें, ताकि उसमें पानी जमा न हो और मच्छर भी आकर्षित न हों.

पानी के बर्तनों को ढककर रखें: जिन घरों में पाइप से पानी की आपूर्ति नहीं होती, वहां पानी भरकर रखने वाले कंटेनरों को ठीक से ढक कर रखें. अगर पानी निकालें तो फिर से ढक्कन को लगा दें, ताकि मच्छर अंदर न आ सकें.

कूलर का पानी बदलें: कूलर मच्छरों के प्रजनन के मुख्य स्थान हैं. मच्छरों के लार्वा को बढ़ने से रोकने के लिए उन्हें हर 2-3 दिन में खाली, साफ़ और फिर से भरें. ऐसा करने से मच्छरों से बचाव हो सकता है.

फुल कपड़े पहनें: सुबह और शाम के समय लंबी आस्तीन वाली शर्ट, फुल पैंट और मोजे जरूर पहनें. ऐसे कपड़े त्वचा के संपर्क को कम करते हैं, विशेष रूप से सुबह और शाम के समय जब मच्छर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं.

मच्छर क्रीम का प्रयोग करें: बाहर निकलने से पहले, खासकर शाम के समय, मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाएं. अतिरिक्त सुरक्षा के लिए, घर के अंदर मच्छर भगाने वाली कॉइल या इलेक्ट्रिक वेपोराइज़र का इस्तेमाल करें.

मच्छरदानी लगाकर सोएं: अधिक बारिश से मच्छर अधिक पनपते हैं. इसलिए जिन क्षेत्रों में मच्छर का आतंक अधिक हो, वहां के लोग मच्छरदानी लगाकर सोएं. इससे सोते समय मच्छर नहीं काटेंगे और नींद अच्छी आएगी.

इन पौधों को लगाएं: घर के पास तुलसी, लेमनग्रास और सिट्रोनेला के पौधे जरूर लगाएं. बता दें कि, इन पौधों में प्राकृतिक रूप से हानिकारक तत्व होते हैं. इनकी खुशबू मात्र से मच्छर घर में नहीं आते हैं.

लक्षणों के प्रति सतर्क रहें: अगर आपको मानसून के दौरान बुखार, ठंड लगना या शरीर में दर्द हो, तो खुद दवा न लें. उचित जांच और उपचार के लिए तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.


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