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टीबी को लेकर WHO का त्राहिमाम, सरकारें नहीं सुधरी तो आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगी बीमारी, लाखों लोगों का जीवन संकट में

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WHO Call for Urgent Action On TB: ऐसा लगता है कि टीबी उतनी खतरनाक बीमारी नहीं है लेकिन आंकड़ों की मानें यह बेहद खतरनाक बीमारी होने लगी है. विश्व के 25 प्रतिशत टीबी मरीज भारत में ही है.

टीबी को लेकर WHO का त्राहिमाम, सरकारें नहीं सुधरी तो आउट ऑफ कंट्रोल बीमारी

टीबी की बीमारी.

WHO Call for Urgent Action On TB: एक जमाने में टीबी कैंसर से ज्यादा खतरनाक बीमारी थी. तब इसकी कोई दवा नहीं थी. फिर इसकी दवा आ गई और लोग इस बीमारी को हलवा की तरह ट्रीट करने लगे लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी दुनिया में 1 करोड़ से ज्यादा लोग टीबी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. साइंस डायरेक्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इन मामलों में 25 प्रतिशत मामले अकेले भारत में हैं. इसमें कोई शक नहीं कि भारत में टीबी के मामले में तेजी से गिरावट आई है, इसके बावजूद यह बेहद खतरनाक बीमारी है और करीब हर साल 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत भारत में टीबी के कारण हो जाती है. लेकिन मुद्दा यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीबी के मामलों को लेकर तत्काल अलर्ट जारी किया है. यह इसलिए क्योंकि दुनिया भर की सरकारें टीबी को खत्म करने के लिए बजट में भारी कटौती कर दी है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इससे टीबी की बीमारी आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगी क्योंकि यह बीमारी आज भी खत्म नहीं हुई है.

बजट में भारी कटौती से टीबी को हराना मुश्किल
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2025 में दुनिया भर की सरकारों ने टीबी को लेकर पहले से हो रहे खर्च में भारी कटौती कर दी है. हालांकि इससे पहले से ही सरकारें टीबी के फंड को कम करना शुरू कर दी थी. 2023 तक टीबी की रोकथाम और देखभाल के लिए हर साल आवश्यक 22 अरब डॉलर की जरूरत थी जिसमें से अब सिर्फ इसका 26 प्रतिशत उपलब्ध है. इससे टीबी को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल साबित हो रहा है. सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि टीबी पर रिसर्च के लिए सालाना 5 अरब डॉलर खर्च करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन यह उपलब्धता सिर्फ 5 अरब का 5 प्रतिशत है. डब्ल्यूएचओ टीबी की सटीक वैक्सीन के लिए रिसर्च कर रही है लेकिन बजट में कटौती के कारण यह मुश्किल लग रहा है.

क्या है टीबी की बीमारी
टीबी की बीमारी सांसों या फेफड़ों से संबंधित एक गंभीर बीमारी है जो जर्म के शरीर के अंदर जाने से होता है. यह जर्म मायोबैक्टीरियम बैक्टीरिया का गुच्छा होता है. जब टीबी से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता है तो उसकी सांसों से यह बैक्टीरिया निकलकर दूसरे को भी संक्रमित कर देता है. इसमें बैक्टीरिया फेफड़े में सड़न पैदा करने लगता है जिसे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. टीबी को बड़े पैमाने पर खत्म करने के लिए दुनिया भर की सरकारें प्रयास कर रही है लेकिन टीबी के मामले कम आने के बाद सरकार अपना कदम पीछे करने लगी है जिस कारण डब्ल्यूएचओ चिंतित है.

टीबी की बीमारी के लक्षण
अगर रात में बिना वजह पसीना आए तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं. इसके साथ ही छाती में दर्द, थकान, बिना वजह वजन में कमी, लगातार दो सप्ताह से खांसी, शाम में बुखार बढ़ जाना, दम फूलना या सांस लेने में थकान आदि भी टीबी के लक्षण होते हैं. इसके साथ ही अगर थूक के साथ मुंह से खून आए तो यह टीबी का पुख्ता प्रमाण हो सकता है.

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