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बागेश्वर: उत्तराखंड की वादियों में मिलने वाला तिमिल का फल स्वाद और सेहत दोनों का खजाना है. जंगली अंजीर की प्रजाति होने के कारण यह केवल पहाड़ी इलाकों में ही प्राकृतिक रूप से उगता है. अपने औषधीय गुणों और पारंपरिक महत्व की वजह से इसे ग्रामीण लोग न सिर्फ भोजन का हिस्सा बनाते हैं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद खास मानते हैं. आइए जानते है इसके फायदे…
तिमिल का फल आयुर्वेद में पाचन तंत्र को दुरुस्त करने के लिए बेहद लाभकारी माना गया है. इसमें मौजूद प्राकृतिक रेशा आंतों की सफाई करता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है. नियमित सेवन से भूख खुलकर लगती है और पेट हल्का महसूस होता है. यही कारण है कि पहाड़ी लोग इसे भोजन के बाद विशेष रूप से खाते हैं. उत्तराखंड की वादियों में यह फल प्राकृतिक रूप से उगता है और बिना किसी रसायन के पचने योग्य गुणों से भरपूर होता है.
आयरन और मिनरल्स से भरपूर तिमिल का फल खून की कमी यानी एनीमिया को दूर करने में कारगर है. खासतौर पर महिलाओं और बच्चों के लिए यह प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. ऐजल पटेल बताते हैं कि तिमिल के नियमित सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है, थकान कम होती है. पर्वतीय क्षेत्रों में लोग इसे प्राकृतिक सप्लीमेंट की तरह इस्तेमाल करते हैं. यह न केवल रक्त को शुद्ध करता है बल्कि शरीर को ताजगी भी प्रदान करता है.
कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर तिमिल हड्डियों के लिए वरदान है, पर्वतीय इलाकों में इसे बच्चों और बुजुर्गों को खासतौर पर खिलाया जाता है, ताकि उनकी हड्डियां मजबूत रहें. तिमिल का सेवन ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या से बचाव करता है. इसकी प्राकृतिक ताकत हड्डियों और दांतों को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखती है, यही कारण है कि गांवों में इसे दूध या अन्य आहार के साथ मिलाकर खाया जाता है.
तिमिल का फल एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं. इसके सेवन से मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी, जुकाम और बुखार से बचाव होता है. नियमित रूप से इसका सेवन करने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा भी कम देखा गया है. उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इसे सर्दियों में खासतौर पर खाया जाता है ताकि शरीर को प्राकृतिक सुरक्षा मिल सके.
तिमिल फल में मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं. इसके सेवन से त्वचा की झुर्रियां कम होती हैं और चेहरे पर प्राकृतिक ग्लो आता है. आयुर्वेदिक नुस्खों में भी तिमिल को सुंदरता बढ़ाने वाला फल बताया गया है. पहाड़ी महिलाओं की त्वचा की चमक का एक बड़ा राज यही फल माना जाता है. यही नहीं, यह शरीर में टॉक्सिन को भी बाहर निकालता है, जिससे स्किन हेल्दी रहती है.
तिमिल के सेवन से न सिर्फ त्वचा, बल्कि बाल भी घने और मजबूत बनते हैं. इसमें मौजूद आयरन और मिनरल्स सिर की जड़ों तक पोषण पहुंचाते हैं. तिमिल का सेवन करने वाले लोगों के बाल समय से पहले सफेद नहीं होते और बालों का झड़ना भी कम होता है. उत्तराखंड की महिलाएं इसे आहार में शामिल कर लंबे और मजबूत बाल पाने का राज मानती हैं. यह फल बालों को नेचुरल शाइन भी देता है.
तिमिल में प्राकृतिक शुगर और फाइबर होता है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है. पहाड़ों में लोग कठिन श्रम के बाद तिमिल को खाना पसंद करते हैं क्योंकि यह थकान मिटाकर शरीर को तरोताजा कर देता है. यह फल एनर्जी ड्रिंक की तरह काम करता है, लेकिन बिना किसी साइड इफेक्ट के. इसका सेवन बच्चों, खिलाड़ियों और रोजाना ज्यादा मेहनत करने वाले लोगों के लिए बेहद लाभकारी है.
तिमिल का फल उत्तराखंड की प्राकृतिक धरोहर है, जो देश के अन्य हिस्सों में आसानी से नहीं मिलता. यह जंगली अंजीर की प्रजाति है और केवल हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगता है. इसे भोजन और परंपरा का हिस्सा माना जाता है. यह फल भविष्य में सुपरफूड की तरह लोकप्रिय हो सकता है. उत्तराखंड आने वाले पर्यटक भी अब इसे खास तौर पर तलाशते हैं और यादगार स्वाद के रूप में घर ले जाते हैं.
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