Home Lifestyle Health नाक-मसूड़ों से लगातार आता है खून? मामूली चोट पर भी नहीं रुकता...

नाक-मसूड़ों से लगातार आता है खून? मामूली चोट पर भी नहीं रुकता ब्‍लड फ्लो? कहीं हीमोफीलिया तो नहीं! डॉक्‍टर ने दी सलाह

0


What is Hemophilia: हमारे शरीर में जब कभी हल्की-फुल्की चोट लगती है या स्किन कटती है, तो कुछ ही देर में खून का बहाव अपने आप रुक जाता है. यह खून के थक्के जमने की सामान्य प्रक्रिया के कारण होता है, जिससे ब्लीडिंग कंट्रोल में आ जाती है. लेकिन कुछ लोगों में यह प्रक्रिया काम नहीं करती, यानी चोट लगने के बाद भी खून बहता रहता है. इसकी वजह हो सकती है हीमोफीलिया नामक बीमारी, जो एक गंभीर और अनुवांशिक रक्त विकार (genetic bleeding disorder) है. हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में खून को जमाने वाले फैक्टर्स की कमी होती है, जिसके कारण मामूली चोट भी जानलेवा बन सकती है. इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 17 अप्रैल को वर्ल्ड हीमोफीलिया डे (World Hemophilia Day) मनाया जाता है.

इंदौर के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के सीनियर कन्सल्टेन्ट, डॉ. एस.पी. श्रीवास्तव (Dr SP Shrivastava, Consultant, Medical, Hemato & Radio Oncologist at Kokilaben Dhirubhai Ambani Hospital, Indore) के अनुसार, हीमोफीलिया के लक्षणों को समय रहते पहचानना और इलाज शुरू करना बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि अगर किसी इंसान को बार-बार नाक से खून आना, मसूड़ों से ब्लीडिंग या मामूली चोट पर भी खून न रुकने जैसी समस्या हो, तो उसे तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

हीमोफीलिया बीमारी होने के ये हो सकते हैं कारण-
दरअसल, हीमोफीलिया रोग से पीड़ित मरीज के खून में थक्का बनने की क्षमता बहुत कम होती है. ऐसे में हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है, क्योंकि मामूली चोट लगने पर उनका बहुत अधिक खून बह जाता है. बता दें कि हीमोफीलिया रोग में जीन्स में बदलाव के कारण शरीर में क्लॉटिंग फैक्टर प्रोटीन का निर्माण नहीं हो पाता.
अगर इसके प्रकार की बात करें तो हीमोफीलिया रोग के दो प्रकार होते हैं- ‘हीमोफीलिया-A’ और ‘हीमोफीलिया-B’. हीमोफीलिया-A से ग्रस्त रोगियों के खून में थक्के बनने के लिए आवश्यक ‘फैक्टर-8’ की कमी हो जाती है, वहीं दूसरी ओर हीमोफीलिया-B में ‘फैक्टर-9’ की कमी हो जाती है. इंसान के शरीर में खून का थक्का बनाने के लिए दोनों का होना बेहद जरूरी होते हैं.

इसे भी पढ़ें; इम्‍यूनिटी कमजोर हो गई? Vitamin D deficiency हो सकती है वजह, जानें डाइट में किन चीजों को करें शामिल

हीमोफीलिया के लक्षण-
लक्षण की बात करें तो फैक्टर-8 या फैक्टर-9 के आधार पर इसके लक्षण हल्के या गंभीर हो सकते हैं. खून में मौजूद थक्कों के स्तर के आधार पर हीमोफीलिया की गंभीरता का पता किया जा सकता है.
लंबे समय तक रक्तस्राव होने के अलावा, कुछ सामान्य लक्षणों के जरिए भी हीमोफीलिया के बारे में पता किया जा सकता है, जैसे कि हीमोफीलिया से पीड़ित मरीजों की नाक और मसूड़ों से भी लगातार खून बहने के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते हैं. मरीज की त्वचा आसानी से छिल जाती है. शरीर में आंतरिक रक्तस्राव के कारण कुछ लोगों में जोड़ों में दर्द की भी समस्या होने लगती है. इसके अलावा, सिर के अंदर भी रक्तस्राव हो सकता है, जिससे तेज सिरदर्द और गर्दन में अकड़न भी हो सकती है.

हीमोफीलिया का इलाज-
हीमोफीलिया का इलाज पहले काफी मुश्किल था, लेकिन अब मरीज के शरीर में फैक्टर-8 या फैक्टर-9 की कमी को इंजेक्शन के जरिए पूरा किया जा सकता है. वहीं, मरीज में अगर बीमारी की गंभीरता कम है तो दवाओं के जरिए भी इलाज संभव है.

हीमोफीलिया रोग में यह सावधानियां बरतें-
हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को अपने बच्चों की पहले से जांच करा लेनी चाहिए, क्योंकि यह एक आनुवंशिक बीमारी है. आमतौर पर अधिकांश मरीजों में फैक्टर-8 की कमी देखी जाती है. पहले से जांच कराने पर सावधानी रखी जा सकती है और इंजेक्शन देकर तत्काल इलाज किया जा सकता है. इमरजेंसी आने पर ऐसे अस्पताल में जाएं, जहां पूरी तरह से स्पेशलिटी की सुविधाएं उपलब्ध हों, जिससे समय पर उपचार मिल सके.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-world-hemophilia-day-2025-what-is-hemophilia-its-reason-symptom-treatment-dr-s-p-shrivastava-advice-on-genetic-bleeding-disorder-ws-kl-9182715.html

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version