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प्रेग्नेंसी में तनाव बन सकता है प्री-मैच्योर डिलीवरी का खतरा! एक्सपर्ट से जानें स्ट्रेस मैनेजमेंट टिप्स – Uttar Pradesh News

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जौनपुर: गर्भावस्था जीवन का एक बेहद खास और संवेदनशील समय होता है. इस दौरान महिला न केवल अपने लिए बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी जिम्मेदार होती है. चिकित्सकों का कहना है कि इस समय शारीरिक पोषण के साथ-साथ मानसिक शांति भी उतनी ही जरूरी है. यदि तनाव लगातार या लंबे समय तक बना रहे, तो इसका असर सीधे गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है.

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. श्वेता गुप्ता बताती हैं कि गर्भावस्था में तनाव शरीर में कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ा देता है. ये हार्मोन रक्त संचार और हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिससे बच्चे का विकास प्रभावित होता है. अत्यधिक तनाव के कारण बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है या जन्म के बाद उसका वजन सामान्य से कम रह सकता है.

तनाव का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
तनाव का असर केवल शारीरिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल सकता है. डॉ. गुप्ता के अनुसार यदि गर्भवती महिला लगातार चिंता, बेचैनी या अवसाद में रहती है, तो शिशु के मस्तिष्क के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इससे बच्चे में भविष्य में व्यवहार संबंधी समस्याएं, नींद से जुड़ी कठिनाई या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

आयुर्वेदिक उपाय और तनाव कम करने के तरीके
आयुर्वेद के अनुसार गर्भावस्था में मानसिक शांति और सकारात्मक सोच उतनी ही जरूरी है जितना संतुलित आहार. डॉ. श्वेता गुप्ता कहती हैं कि गर्भवती महिलाओं को योग, ध्यान और प्राणायाम की आदत डालनी चाहिए. सुबह और शाम गहरी सांस लेना शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाता है और मन को शांत करता है.

तुलसी, अश्वगंधा और ब्राह्मी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां भी तनाव कम करने में मदद करती हैं, लेकिन इन्हें बिना चिकित्सक की सलाह के प्रयोग नहीं करना चाहिए.

परिवार का सहयोग तनाव कम करने में सहायक
गर्भावस्था में मानसिक शांति के लिए परिवार का सहयोग बेहद जरूरी है. डॉ. गुप्ता के अनुसार घर के सदस्य अगर गर्भवती महिला का ख्याल रखें, उससे सहानुभूति और अपनापन दिखाएं तो उसका तनाव काफी हद तक कम हो सकता है.

संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और हल्की सैर गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. साथ ही मीठा संगीत सुनना, आध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ना और सकारात्मक सोच को अपनाना तनाव कम करने में मदद करता है.

खुद पर हावी न होने दें चिंता
गर्भावस्था में तनाव को नजरअंदाज करना मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वे छोटी-छोटी चिंताओं को अपने ऊपर हावी न होने दें और परिवार से खुलकर बातचीत करें. परिवार का दायित्व है कि वह महिला को मानसिक और भावनात्मक सहयोग दे.

डॉ. श्वेता गुप्ता कहती हैं – “स्वस्थ और खुश गर्भवती महिला ही एक स्वस्थ और मजबूत बच्चे को जन्म दे सकती है. तनाव से बचना गर्भावस्था की सबसे बड़ी दवा है.”


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-pregnancy-stress-management-importance-ayurvedic-tips-for-healthy-baby-local18-9687193.html

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