ORS vs ORSL fruit juice: कई बार जानकारी के अभाव में या मेडिकल स्टोर पर भरोसा करके लोग बच्चों के लिए ऐसी दवाएं ले आते हैं जो वास्तव में दवा नहीं बल्कि उनके लिए जहर बन जाती हैं. इससे बीमारी तो ठीक नहीं होती लेकिन मरीज की हालत और भी ज्यादा खराब हो सकती है. मेडिकल स्टोरों पर डब्ल्यूएचओ ओआरएस के नाम पर खुलेआम मिलने वाले फ्रूट फ्लेवर्ड ओआरएसएल ऐसे ही प्रोडक्ट्स हैं, जो बच्चों की हेल्थ को खराब करने में योगदान दे रहे हैं.

बाजार में नकली ओआरएस भी मिल रहे हैं, इन्हें न खरीदें.
क्या होता है ORS और ओआरएसएल में अंतर
डॉ. संतोष बताती हैं कि ORS का मतलब है ओरल रीहाइड्रेशन सॉल्ट या सॉल्यूशन. इसमें सोडियम, पोटेशियम, ग्लूकोज और पानी का मिश्रण होता है. इसे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कड़े रिसर्च के बाद तय मानकों के तहत तैयार किया है. यह आमतौर पर डायरिया यानि दस्त, उल्टी और शरीर में पानी की कमी होने पर हाइड्रेट रखने और शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करने के लिए दिया जाता है.
डॉ. शिवरंजिनी संतोष कर रहीं जागरुक, 8 साल लड़ी लड़ाई, फिर एफएसएसएआई ने लगाया नकली ओआरएस पर बैन.
जबकि ORSL या रीबेलेंजविट ओआरएस एक तरह का फ्रूट फ्लेवर्ड जूस है जिसे इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक कहकर बेचा जा रहा है. इस तरह के जूस कई ब्रांड्स में उपलब्ध हैं. इसके डिब्बे पर अगर इंग्रीडिएंट्स देखेंगे तो पाएंगे कि इसमें पानी, हाई शुगर, सुक्रोज, डेक्सट्रोज, एप्पल या ऑरेंज जूस कंसेन्ट्रेट, एडेड फ्लेवर्स, आर्टिफिशियल फ्लेवर, सोडियम साइट्रेट, पोटैशियम क्लोराइड, सोडियम क्लोराइड और विटामिन C आदि मिले होते हैं. अक्सर कैमिस्ट के द्वारा इन्हें बेचते वक्त कहा जाता है कि ये ओआरएस ही हैं और बच्चों के लिए ज्यादा अच्छे हैं क्योंकि बच्चे इन्हें जूस समझकर पी लेते हैं. जबकि ये दवा नहीं जहर का काम करते हैं.
गलत को रोकें, बच्चों को बचाएं
डॉ. शिवरंजिनि कहती हैं कि सभी पेरेंट्स को जागरुक होने की जरूरत है. एफएसएसएआई ने रोक लगाई है लेकिन बहुत जगह इसका पालन नहीं हो रहा है, अगर पेरेंट्स जागरुक होंगे तो वे इन्हें खरीदेंगे ही नहीं. इसलिए ये जानकारी गांव-गांव तक पहुंचना जरूरी है कि जिन्हें भी डायरिया है उन्हें ओआरएसएल नहीं पीना चाहिए. सिर्फ डब्ल्यूएचओ रिकमंडेड ओआरएस लेना चाहिए या फिर घर में ओआरएस घोल बनाना चाहिए. अगर डायरिया में ये स्वीट जूस पीया जाता है तो इससे डायरिया सही होने के बजाय और खराब हो सकता है. शरीर में सोडियम की मात्रा कम हो सकती है. डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों की भारी नुकसान हो सकता है क्योंकि इसमें स्वीटनर के तौर पर सैकरीन या एसपार्टम जैसी नुकसानदेह चीजें मिली होती हैं. इसलिए जागरुक बनें और बच्चों की जान बचाएं.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/knowledge/fruit-flavored-orsl-juices-on-medical-stores-in-under-name-of-who-ors-formula-fssai-banned-can-trigger-risk-of-diabetes-what-is-the-difference-between-them-dr-sivaranjani-santosh-ws-kln-9877354.html