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बारिश में Osteoporosis के मरीज हड्डियों की देखभाल कैसे करें, क्या बरतें सावधानियां

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Osteoporosis and Monsoon Risk: बारिश का मौसम जहां गर्मी से राहत दिलाता है, तो वहीं अपने साथ कई बीमारियां भी लाता है. मच्छर जनित रोग, सर्दी-खांसी, जुकाम, बुखार, फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं तो होती ही हैं, लेकिन ये हड्डियों की बीमारियों को भी बढ़ा सकता है. खासकर, उन लोगों के लिए मॉनसून सिरदर्द बन सकता है, जिन्हें ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की बीमारी पहले से ही है. इस रोग में हड्डियां काफी कमजोर हो जाती हैं. इससे फ्रैक्चर होने, टूटने का जोखिम अधिक बढ़ जाता है. बारिश का मौसम इस रोग से ग्रस्त लोगों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. कैसे बारिश का मौसम ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी से ग्रस्त लोगों के लिए है नुकसानदायक जानिए यहां.

ऑस्टियोपोरोसिस में बारिश कैसे है रिस्की?

-दरअसल, मानसून में हर जगह पानी-पानी, कीचड़, नमी की समस्या बढ़ जाती है. ऐसे में अगर चलने-फिलने में जरा सी भी लापरवाही बरती गई तो ये हड्डियों के टूटने की समस्या को बढ़ा सकता है. फिसलन बढ़ने से गिरने का जोखिम बढ़ जाता है. किसी व्यक्ति की हड्डियां पहले से ही कमजोर हैं, तो गिरने से हड्डी के टूटने का खतरा बना रहता है.

-इसके अलावा, मानसून के दिनों में हर समय मौसम में काफी बदलाव होता रहता है. कभी अचानक बारिश, कभी सूखा, कभी उमस, गर्मी तो कभी हल्की ठंड महसूस होती है. इस बदलाव के कारण वातावरण का दबाव कम हो जाता है, जो जोड़ों पर असर डालता है.

-जब वातावरण में नमी होती है, तो यह हवा को ठंडा बना देती है, जिससे मांसपेशियां अकड़ जाती हैं. इससे जोड़ों में अकड़न महसूस होती है. ऐसे में ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों को दर्द और सूजन की समस्या बढ़ सकती है.

मानसून में ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों बरतें ये सावधानियां

-एनआईएच के अनुसार, गर्म पानी से सिकाई करना चाहिए, ताकि जोड़ों की अकड़न और सूजन कम हो. खासतौर से सुबह के समय जब दर्द ज्यादा होता है, तब सिकाई करना लाभकारी साबित हो सकता है.

-जोड़ों को गर्म रखना सबसे महत्वपूर्ण उपाय है. जब वातावरण में ठंडक हो, तो शरीर को गीला होने से बचाना चाहिए.

-आप घर के अंदर भी फिसलें ना इसके लिए खासकर बाथरूम, टॉयलेट, बालकनी में एंटी-स्लिप मैट्स लगवाएं. गीले फर्श पर चलने के लिए ऐसे जूते या चप्पल पहने, जो फिसलन से बचाए रखें. अगर जरूरत हो, तो वॉकिंग स्टिक या वॉकर का इस्तेमाल करें, ताकि गिरने का खतरा कम हो.

-ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे अपनी हड्डियों और जोड़ों को हल्के से व्यायाम के जरिए सक्रिय रखें. योग, वॉक या स्ट्रेचिंग करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. हड्डियों में लचीलापन भी बढ़ता है.

-हेल्दी डाइट, विटामिन डी, कैल्शियम से भरपूर आहार लेने से ऑस्टियोपोरोसिस से बचने का आसान उपाय है. कैल्शियम, विटामिन डी युक्त डाइट हड्डियों को मजबूती देते हैं. आप केला, अमरूद, पपीता आदि फल खाएं.

-ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों को विटामिन डी की मात्रा रेगुलर चेक करानी चाहिए, क्योंकि यह हड्डियों के निर्माण में मदद करता है. सुबह के समय कुछ देर धूप में बैठने से विटामिन डी प्राप्त होता है. यह पर्याप्त नहीं हो तो डॉक्टर से सप्लीमेंट्स लेने के बारे में पूछ सकते हैं.

-मानसून में अगर आप ऑस्टियोपोरोसिस होने की वजह से जोड़ों में दर्द, जोड़ों में अकड़न, सूजन, लालिमा महसूस करते हैं, तो तुरंत ऑर्थोपेडिक सर्जन से संपर्क करें. कोई पुरानी चोट या हड्डी का फ्रैक्चर फिर से दर्द कर रहा है, तो इसे भी इग्नोर ना करें और डॉक्टर से दिखा लें.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-osteoporosis-patients-face-bone-risk-in-monsoon-what-precautions-should-be-taken-to-avoid-fracture-in-hindi-ws-kl-9568038.html

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