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manjistha benefits hindi: वाल्मिकीनगर सीमा के पास नेपाल में पाई जाने वाली मंजिष्ठा हिमालयन रेंज की औषधि है, जो त्वचा, बाल और गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोगी है. विशेषज्ञ परशुराम और संजय ने बताया कि…
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मिकीनगर क्षेत्र की सीमा से सटे पड़ोसी देश नेपाल में एक ऐसी जड़ी बूटी मिलती है, जिसे मुख्य रूप से हिमालयन रेंज में पाया जाता है. आयुर्वेद में इस जड़ी का वर्णन एक ऐसी औषधि के रूप में किया गया है, जिसका उपयोग त्वचा की रंगत निखारने से लेकर शरीर की गंभीर से गंभीर बीमारियों तक को दूर करने के लिए किया जाता है.
जानकार बताते हैं कि यह जड़ी कुछ और नहीं, बल्कि मंजिष्ठा है. मेडिसिनल प्लांट एक्सपर्ट परशुराम बताते हैं कि मंजिष्ठा एक ऐसी जड़ी है, जिसका उपयोग कई तरह की बीमारियों में उपचार औषधि के रूप में किया जाता है. इसकी जड़, तना, फल और पत्तियां सभी औषधीय गुणों से लैस होती हैं.
बकौल संजय, यदि आप इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर उससे बालों को धोते हैं तो इससे बालों का झड़ना और पकना कम होने लगता है. मंजिष्ठा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं. यह मुंहासों को कम करती है. इतना ही नहीं यह त्वचा के दाग-धब्बों को हल्का करती है और रंगत को निखारती है.
मंजिष्ठा का उपयोग बरसात में त्वचा की नमी से होने वाली फंगल इन्फेक्शन को भी दूर करता है. यदि आप मंजिष्ठा के चूर्ण में शहद और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाते हैं और फिर उसे चेहरे पर लगाकर गुनगुने पानी से धो लेते हैं, तो कुछ ही दिन में आपको इसका असर दिखने लगेगा.
बड़ी बात तो यह है कि दाग-धब्बों सहित यह कुष्ठ रोग से राहत दिलाने में भी असरदार होता है. आप इसकी जड़ को उबालकर चाय बनाकर पी सकते हैं, जिससे त्वचा अंदर से साफ होती है. इसके साथ ही आप इसके तेल से अपने चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं, जिससे त्वचा की गहराई से सफाई हो जाती है.
जानकारों की सलाह है कि वैसे तो इस आयुर्वेदिक औषधि का शरीर पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता लेकिन, बेहतर परिणाम के लिए उपयोग से पहले किसी अच्छे आयुर्वेदाचार्य की सलाह जरूर लेनी चाहिए.
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