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मानसिक रोगियों को क्यों दिया जाता है इलेक्ट्रिक शॉक, क्या ये वाकई खतरनाक? आगरा पागलखाने के डायरेक्टर ने बताया सच

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Health tips : इलेक्ट्रिक शॉक मानसिक उपचार का एक हिस्सा है. इसे इलेक्ट्रो कन्वर्जन थेरेपी या इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी भी कहा जाता है. समाज में इसे लेकर अलग-अलग तरह के भ्रम हैं. इसमें एक छोटा विद्युत प्रवाह भेजकर मस्तिष्क में नियंत्रित दौरा पैदा किया जाता है. फिल्मों में दिखाते हैं कि मरीज को कई लोग जबरदस्ती पकडे़ हुए हैं, जबकि ऐसा नहीं है.

आगरा. उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित मानसिक स्वास्थ्य संस्था में मनोरोगियों का इलाज किया जाता है. यहां मरीजों को इलेक्ट्रिक शॉक भी दिया जाता है. यह इलेक्ट्रिक शॉक मरीजों को ठीक करने के लिए दिया जाता है. आगरा मानसिक स्वाथ्य संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. दिनेश सिंह राठौर बताते हैं कि ये उपचार का एक हिस्सा है. इसे इलेक्ट्रो कन्वर्जन थेरेपी, जिसे इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (ईसीटी) भी कहा जाता है. समाज में इसे लेकर अलग-अलग तरह की भ्रान्तियां लोगों ने फैला रखी हैं. फिल्मों में इसे गलत तरिके से दिखाया जाता है, जबकि वैसा कुछ भी नहीं है. इलेक्ट्रो कन्वर्जन थेरेपी जिसे आम बोलचाल में इलेक्ट्रिक शॉक कहा जाता है, यह एक चिकित्सा उपचार है जिसमें मस्तिष्क में एक छोटा विद्युत प्रवाह भेजकर एक नियंत्रित दौरा (seizure) पैदा किया जाता है. यह गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अवसाद, द्विध्रुवी विकार और सिज़ोफ्रेनिया के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है, खासकर जब अन्य उपचार अप्रभावी होते हैं.

पता ही नहीं चलता

डॉ. सिंह बताते हैं कि इस प्रक्रिया में मरीज को सामान्य एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिससे वे बेहोश और दर्द रहित रहते हैं. इलेक्ट्रो कन्वर्जन थेरेपी देने से पहले मरीज का एक 15 मिनट का मेडिकल चेकअप किया जाता है. उसकी रिपोर्ट ठीक आने के बाद ही उसे इलेक्ट्रो कन्वर्जन थेरेपी दी जाती है. इस इलेक्ट्रो कन्वर्जन थेरेपी से मरीजों को जल्द ही आराम मिलता है. डॉ. सिंह राठौर ने बताया कि इलेक्ट्रिक शॉक थेरेपी से मरीजों को कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. बेहद कम मात्रा में करंट को मस्तिष्क में पहुंचाया जाता है. इस थेरेपी से दिमाग के अंदर पहुंची बिजली की हल्की-हल्की तरंग मस्तिष्क को ठीक करती है. वर्तमान में इलेक्ट्रो कन्वर्जन थेरेपी देने के लिए अत्याधुनिक मशीनें आ चुकी हैं, जिससे मरीजों को इलेक्ट्रिक शॉक का पता ही नहीं चलता है.

हकीकत कुछ और

प्रो. डॉ. दिनेश सिंह राठौर ने बताया कि इलेक्ट्रो कन्वर्जन थेरेपी के बारे में फिल्मों आदि में गलत तरीके से दिखाया जाता है. फिल्मों में दिखाते हैं कि मरीज को कई लोग जबरदस्ती पकडे़ हुए हैं और उसे करंट दिया जा रहा है. इससे मरीज तड़प रहा है. लेकिन सच में ऐसा कुछ भी नहीं होता है. यह सब एक भ्रम है. फिल्मों में इस थेरेपी का जिस तरह से मजाक बनाया गया है, उससे समाज में इसके प्रति नकारात्मक सोच आई है. वर्तमान में अत्याधुनिक मशीनों ने लैस सुविधाओं से यह इलेक्ट्रो कन्वर्जन थेरेपी दी जाती है. यह बिलकुल सेफ है.

Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu… और पढ़ें

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मानसिक रोगियों को क्यों देते हैं इलेक्ट्रिक शॉक, क्या ये वाकई खतरनाक? जानें


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