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सिर्फ 3 महीने में बीमारी से मुक्ति! सहारनपुर की सुनीता की योग से बदल गई जिंदगी

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योगाचार्य सुनीता ने योग से खुद को स्वस्थ किया और 15 वर्षों से हजारों लोगों को निशुल्क योग सिखा रही हैं. गंभीर बीमारियों को हराकर उन्होंने दूसरों को प्रेरित किया, योग को हर घर तक पहुंचाने का संकल्प लिया.

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सहारनपुर की अनीता अन्य महिलाओं के लिए बन रही प्रेरणा स्रोत

अंकुर सैनी/सहारनपुर- भारत में योग का इतिहास हजारों साल पुराना है. हमारे ऋषियों-मुनियों का पूरा जीवन ही योगमय रहा है. भारत में योग की परंपरा उतनी ही प्राचीन है जितनी कि भारतीय संस्कृति मानसिक, शारीरिक एवं आध्यात्मिक रूप में लोग प्राचीन काल से ही इसका अभ्यास करते आ रहे हैं. योग ने अनगिनत लोगों को रोग मुक्त कर उनके जीवन को बेहतर बनाया है. ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है सहारनपुर की एक महिला की, जिन्होंने न केवल योग से स्वयं को स्वस्थ बनाया बल्कि अन्य लोगों को भी निशुल्क योग सिखाकर उन्हें विभिन्न बीमारियों से मुक्त किया.

योग से बीमारी को हराने वाली सहारनपुर की सुनीता
हम बात कर रहे हैं योगाचार्य सुनीता की, जिन्होंने खुद को बीमारियों से घिरता देख योग का सहारा लिया। आज, वह योग के माध्यम से हजारों लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा दे रही हैं. सुनीता न केवल स्वयं स्वस्थ हुईं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बन गई हैं. वह सहारनपुर ही नहीं, बल्कि अन्य जिलों में भी जाकर लोगों को निशुल्क योग सिखा रही हैं, ताकि भारत में जन्मी इस प्राचीन विद्या को हर घर तक पहुँचाया जा सके.

योग की प्रेरणा और शुरुआत
योगाचार्य सुनीता ने Bharat.one से बातचीत में बताया कि उन्हें योग करने की प्रेरणा अपने ससुर जी से मिली. 87 साल की उम्र में भी उनके ससुर पंडित मायाराम शर्मा पूरी तरह स्वस्थ थे और किसी भी बीमारी से ग्रसित नहीं थे. वहीं, उनकी सास कमला देवी को कैंसर हो गया था, और इसी दौरान सुनीता को भी साइनस की समस्या हो गई.

इस समस्या से निजात पाने के लिए उन्होंने पद्मश्री भारत भूषण जी के मार्गदर्शन में योग करना शुरू किया। 44 साल की उम्र में योग अपनाने के महज तीन महीने बाद ही उनका साइनस और डिस्क प्रॉब्लम ठीक हो गई.

सुबह 4 बजे से योग की दिनचर्या
सुनीता बताती हैं कि वह हर दिन सुबह 4 बजे उठती हैं और अपने दैनिक कार्यों को निपटाकर 5:30 बजे से योग कराना शुरू करती हैं. पिछले 15 वर्षों में उन्होंने हजारों लोगों को योग सिखाया और उन्हें स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखाया.

योग से मिली नई पहचान
सुनीता बताती हैं कि उनके सामने कई ऐसे लोग आए, जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे, लेकिन नियमित योगाभ्यास से वे स्वस्थ हो गए. उनकी प्रेरणा से आज कई लोग न केवल स्वयं स्वस्थ हैं, बल्कि दूसरों को भी योग करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

वह अब तक हजारों लोगों को निशुल्क योग सिखा चुकी हैं, और रोजाना सैकड़ों लोग उनके पास योग करने आते हैं.

जीवन के बड़े हादसों को भी योग से हराया
सुनीता के जीवन में कई बड़े हादसे हुए, लेकिन उन्होंने योग के माध्यम से न केवल खुद को संभाला बल्कि एक नई ऊर्जा के साथ जीवन जीना सीखा. योग के प्रति उनका समर्पण और जुनून ही है, जिसने उन्हें एक सशक्त महिला के रूप में पहचान दिलाई.

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