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हमेशा नाक जाम हो तो सर्जरी कराना ज्यादा बेहतर, एंटीबायोटिक का कोई असर नहीं, रिसर्च में किया गया दावा

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Surgery is best option for Sinus: कुछ लोगों को हमेशा सर्दी-जुकाम रहती है. इसमें नाक जाम हो जाती है. अधिकांश चीजों से एलर्जी हो जाती है. इसे साइनस की बीमारी कहते हैं. इसमें एंटीबायोटिक दी जाती है लेकिन एक रिसर्च…और पढ़ें

हमेशा नाक जाम हो तो सर्जरी कराना ज्यादा बेहतर, एंटीबायोटिक का कोई असर नहीं
Surgery best option for Sinus: कुछ लोग हमेशा अपने साथ इनहेलर लेकर चलते हैं. कुछ मिनट के अंतराल के बाद वे इनहेलर को नाक में लगाकर सूंघते हैं और फिर जाकर रिलेक्स महसूस करते हैं. दरअसल, ऐसे लोगों की नाक हमेशा जाम होने लगती है जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. ऐसे लोग हमेशा सर्दी-जुकाम से त्रस्त रहते हैं. इस बीमारी को साइनस कहा जाता है. साइनस जब बढ़ जाती है तो आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाती है लेकिन रिसर्च में दावा किया गया है कि एंटीबायोटिक दवाएं बहुत ज्यादा कारगर नहीं है. इसके बजाय यदि सर्जरी करा ली जाए तो इसका फायदा बहुत ज्यादा होता है. इसके लिए शोधकर्ताओं ने एक बड़ा क्लिनिकल ट्रायल किया. इसमें यह देखा गया कि क्रोनिक साइनस बीमारी के इलाज में सर्जरी और एंटीबायोटिक में से कौन सा ज्यादा बेस्ट है.

साइनस की बीमारी क्या है

लंबे समय तक चलने वाले साइनस को मेडिकल भाषा में क्रोनिक राइनोसाइनुसाइटिस Chronic Rhinosinusitis कहा जाता है. इसमें मुख्य तौर पर नाक का बंद होना या बहना, सूंघने की क्षमता का कम होना, चेहरे में दर्द, थकान और सांस लेने में परेशानी शामिल हैं. अक्सर यह समस्या जुकाम जैसी लगती है लेकिन हफ्तों, महीनों या कई बार सालों तक बनी रह सकती है.

अध्ययन में क्या आया सामने

द लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार जिन मरीजों ने सर्जरी कराई उनके लक्षणों में स्पष्ट सुधार दिखा और छह महीने बाद भी वे बेहतर महसूस कर रहे थे. वहीं एंटीबायोटिक लेने वालों और प्लेसीबो लेने वालों में खास फर्क नहीं दिखा. विशेषज्ञों का कहना है कि यह नतीजे क्रोनिक साइनस से जूझ रहे मरीजों के लिए इलाज की दिशा बदल सकते हैं.इसके लिए यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन के 500 से अधिक मरीजों पर रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल किया. इसमें साइनस सर्जरी की तुलना लंबे समय तक एंटीबायोटिक और प्लेसीबो से की गई. सभी मरीजों को उनकी सामान्य देखभाल जैसे नेजल स्टेरॉयड और सलाइन वॉश भी जारी रखने को कहा गया. तीन और छह महीने बाद मरीजों की जांच की गई जिसमें एयरफ्लो, नाक और साइनस की स्थिति और गंध पहचानने की क्षमता का आकलन किया गया.

मरीजों में दिखा अंतर

स्टडी में सामने आया कि सर्जरी कराने वाले 87 प्रतिशत मरीजों ने छह महीने बाद अपनी जीवन की गुणवत्ता में सुधार बताया. जबकि एंटीबायोटिक का असर बहुत कम दिखाई दिया. मरीजों की तीन और छह महीने बाद जांच की गई. शोधकर्ताओं ने उनकी नाक और साइनस की जांच की. एयरफ्लो रीडिंग ली. स्मेल टेस्ट किए. इनसे यह देखा गया कि लक्षणों में सुधार जीवन की गुणवत्ता और संभावित साइड इफेक्ट के मामले में किस इलाज से बेहतर परिणाम मिले. शोधकर्ताओं ने कहा कि सर्जरी के बाद लक्षणों में ज्यादा राहत देखने को मिली और मरीजों ने खुद को ज्यादा स्वस्थ महसूस किया. यानी साइनस सर्जरी एंटीबायोटिक से ज्यादा असरदार पाई गई. प्रमुख शोधकर्ता फिलपॉट ने कहा हमें उम्मीद है कि हमारे निष्कर्ष मरीजों को इलाज पाने में लगने वाला समय कम करेंगे. इससे इलाज की प्रक्रिया आसान होगी. बेकार की विज़िट और परामर्श कम होंगे और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च भी घटेगा. इनपुट-आईएएनएस

LAKSHMI NARAYAN

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