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11 बच्चों की मौत के बाद कफ सिरप पर सरकार ने जारी की एडवाइजरी, पैरेंट्स से कहा गया ये

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Government issue advisory on Cough Syrup death: तथाकथित कफ सीरप के कारण 11 बच्चों की मौत के बाद आखिरकार सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी है. इसमें माता-पिता को खास सलाह दी गई है.

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कफ सिरप से मौत!

Government issue advisory on Cough Syrup: मध्यप्रदेश और राजस्थान में तथाकथित रूप से कफ सिरप के कारण 9 से 11 बच्चों की मौत की खबर है. यह खबर पिछले एक सप्ताह से चल रही है कि राजस्थान में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत हो रही है. अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए एक अहम एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि बच्चों को खांसी की दवा बहुत सोच-समझकर और सीमित रूप से ही दी जाए. एडवाइजरी में कहा गया है कि ज़्यादातर बच्चों में खांसी-जुकाम अपने आप ठीक हो जाते हैं और इसके लिए दवा की ज़रूरत नहीं होती.

एडवाइजरी में क्या-क्या कहा गया

एडवाइजरी में कहा गया कि माता-पिता खास इस बात का ध्यान रखें कि अगर बच्चा 2 साल से कम है तो उसे खांसी-जुकाम की दवा बिल्कुल न दी जाए. इसके लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर से दिखाना जरूरी है. वहीं 5 साल से छोटे बच्चों को भी ये दवाएं आमतौर पर नहीं दी जाती है. 5 साल से ऊपर के बच्चों को दवा तभी दी जाए जब डॉक्टर क्लिनिकल जांच करके ज़रूरी समझें. वो भी कम से कम मात्रा में दी जाए. अगर दी भी जाए तो बहुत कम समय के लिए. इसके लिए ज़रूरी दवाओं के कॉम्बिनेशन भी जरूरी है. मंत्रालय ने कहा कि बच्चों की देखभाल में पहले घरेलू और गैर-दवाइयों वाले उपाय किए जाएं. जैसे पर्याप्त पानी,आराम और देखभाल. एडवाइजरी में कहा गया है कि सभी अस्पतालों,दवा दुकानों और स्वास्थ्य केंद्रों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सिर्फ गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) के तहत बनी और सुरक्षित दवाएं ही खरीदें और बच्चों को दें. स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा है कि इस एडवाइजरी को सरकारी अस्पतालों,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC), जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचाया जाए.

जांच में क्या मिला

बच्चों की मौत की खबर के बाद सरकार ने जांच के आदे दिए थे. मध्य प्रदेश में हाल ही में खांसी की दवाओं के सेवन से बच्चों की मौत की खबरों के बाद, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV), और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की संयुक्त टीम ने राज्य का दौरा किया था. राज्य प्रशासन के सहयोग से खांसी की कई दवाओं के सैंपल लिए गए. जांच में पाया गया कि किसी भी सैंपल में डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे हानिकारक रसायन मौजूद नहीं थे. ये रसायन किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (SFDA) द्वारा की गई जांच में भी इन रसायनों की मौजूदगी नहीं पाई गई. बच्चों की मौत के मामले में एक केस में लेप्टोस्पायरोसिस मिला है जिसकी जांच जारी है. पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) द्वारा किए गए परीक्षण में खून और मस्तिष्कमेरु द्रव (CSF) के नमूनों में से एक में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण की पुष्टि हुई है. NEERI, NIV पुणे, और अन्य प्रयोगशालाएं अब पानी, मच्छरों व अन्य कीटों, और श्वसन से संबंधित नमूनों की जांच कर रही हैं.

Lakshmi Narayan

Excelled with colors in media industry, enriched more than 19 years of professional experience. Lakshmi Narayan is currently leading the Lifestyle, Health, and Religion section at Bharat.one. His role blends in-dep…और पढ़ें

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11 बच्चों की मौत के बाद कफ सिरप पर सरकार ने जारी की एडवाइजरी, पैरेंट्स से कहा


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