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22 साल की भरी जवानी में बेमिसाल काम कर दुनिया को अलविदा कह गया इस देश का प्रिंस, बीमारी ऐसी कि हर पल खतरा

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Luxembourg Prince Frederik heroic work: लक्जमबर्ग के प्रिंस फ्रेडरिक का लंबी बीमारी के बाद भरी जवानी में निधन हो गया. लेकिन अपनी मौत से पहले उन्होंने ऐसा महान काम किया जिसे दुनिया सालों तक याद रखेगी.

22 साल की भरी जवानी में बेमिसाल काम कर दुनिया को अलविदा कह गया यह प्रिंस

प्रिंस फ्रेडरिक की फाइल तस्वीर. इंस्टाग्राम पर royalsofluxembourg/ से साभार तस्वीर.

हाइलाइट्स

  • लक्जमबर्ग के प्रिंस फ्रेडरिक का 22 साल की उम्र में निधन.
  • प्रिंस फ्रेडरिक ने POLG फाउंडेशन की स्थापना की.
  • फाउंडेशन माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी से पीड़ितों की मदद करेगा.

Luxembourg Prince Frederik heroic work: लक्जमबर्ग के राजकुमार प्रिंस फ्रेडरिक ने सिर्फ 22 साल की उम्र की भरी जवानी में दुनिया को अलविदा कह दिया. वे ऐसी बीमारी से जूझ रहे थे जिसके संकेत सुनकर आप सिहर उठेंगे. प्रिंस फ्रेडरिक को POLG माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी थी. इस बीमारी में शरीर को एनर्जी बहुत कम मिलती है और वह हर पल दर्द से कराहता रहता है. इसे झेलना बहुत मुश्किल है. बहुत कम लोगों को यह बीमारी है. प्रिंस फ्रेडरिक को यह जन्मजात बीमारी थी लेकिन उन्होंने इसे जवानी तक सामना किया और अंत में इस दुनिया को छोड़ने से पहले महान काम कर गए. प्रिंस फ्रेडरिक ने ऐसा काम किया कि दुनिया उन्हें सालों-साल तक याद रखेंगे.

प्रिंस फ्रेडरिक ने क्या काम किया
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक लक्जमबर्ग के प्रिंस फ्रेडरिक ने इस असाध्य बीमारी से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए और इस पर वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए पीओएलजी फाउंडेशन बनाया. प्रिंस फ्रेडरिक के पिता ने बताया कि फ्रेडरिक का काम लाखों लोगों के लिए संजीवनी का काम करेगा. फ्रेडरिक सुपरहीरो थे. वह हमारे पूरे परिवार के लिए सबकुछ था. वह सबका दोस्त था. यह फाउंडेशन इस असाध्य माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज से पीड़ित लोगों के लक्षणों को कम करने में मदद करेगा और उनकी जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करने की कोशिश करेगा. फ्रेडरिक ने इस फाउंडेशन के लिए तीन साल से भी कम समय में बहुत ज्यादा काम किया. उन्होंने डिजाइनर डोना करण के सहयोग से मीटो एपेरेल लाइन को लॉन्च किया जिसके बनाए कपड़े दुनिया में बेचे जाएंगे. इससे जो पैसा होगा वह इस फाउंडेशन को मिलेगा. इस फाउंडेशन को अब तक 36 लाख डॉलर से ज्यादा मिल चुका है. इससे यह फाउंडेशन दुनिया भर में इस माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी से पीड़ित लोगों की मदद करेगा.

क्या होती है यह बीमारी
इस बीमारी का नाम पल्मोनरी लिंफोमेटॉयड ग्रेनुलोमेटोसिस माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज है. इसे सामान तौर पर पीएलजी माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज कहा जाता है. दरअसल, जितने भी जीव हैं उनके शरीर के सबसे छोटी जीवित इकाइ कोशिका है. इस कोशिका में माइटोकॉन्ड्रिया होता है. इसी माइटोकॉन्ड्रिया में एनर्जी बनती है. यानी जो हम भोजन करते हैं उससे पोषक तत्व बनता है और पोषक तत्वों को यही माइटोकॉन्ड्रिया एनर्जी में बदल देता है. जब हमारे शरीर में एनर्जी होती है तो ही हम कुछ काम कर पाते हैं. हमारे शरीर के हर काम के लिए एनर्जी की जरूरत होती है. हम सोचते भी हैं तो इसमें भी एनर्जी खर्च होती है. लेकिन इस बीमारी में माइटोकॉन्ड्रिया में सही से एनर्जी बन नहीं पाती है. एक तरह से यह ऐसी बीमारी है जिसमें बैटरी खराब है जो कभी भी फुल चार्ज नहीं होती. जब शरीर को सही से एनर्जी नहीं मिलेगी तो इससे मल्टीऑर्गेन फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है और शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग धीरे-धीरे खराब होने लगता है.

इस बीमारी के लक्षण
जब किसी को माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज होती है तो हर पल शरीर में कमजोरी रहती है और मसल्स में दर्द करता रहता है. शरीर का विकास भी सही से नहीं हो पाता है. इसमें सुनने की क्षमता भी जा सकती है और दिखाई देना भी कम हो जाता है. हरदम डायरिया, कब्ज जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पेट संबंधी कई बीमारियां होती है. दौड़ा पड़ने का हरदम डर रहता है. बेहोश होकर मरीज गिर जाता है. माइग्रेन रहता है. सांस लेने में तकलीफ होती है. मतलब हर पल संकट बरकरार रहता है. चूंकि इस बीमारी का इलाज मुश्किल

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